हनुमानगढ़। सिखों के प्रथम गुरु श्री गुरु नानक देव जी का प्रकाशोत्सव पर जंक्शन के नई खुंजा स्थित गुरूद्वारा श्रीगुरूनानक देव में श्रद्धा के साथ मनाया गया। रविवार को सुबह सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब में जारी पाठ का भोग डाला गया। इसके बाद खुले दीवान सजाकर रागी जत्थों सहित प्रचारकों ने गुरु की महिमा का गुणगान किया। कार्यक्रम के दौरान क्षेत्र की बड़ी संख्या में संगत ने गुरु के दरबार में हाजिरी लगाई। समागम के दौरान स्थानीय रागी जत्थों ने गुरु महिमा का गुणगान करते हुए संगत को निहाल कर दिया।
वहीं रागी जत्थों में शामिल व कविश्री जत्था मक्खन सिंह मल्लेकां ने शबद कीर्तन से माहौल को भक्तिमय बना दिया। उन्होंने कहा कि गुरुनानक देव जी के प्रकाशोत्सव का उद्देश्य समाज के लोगों को उनकी शिक्षाओं के माध्यम से समाज में फैली हुई कुरीतियों, नशा, दहेज प्रथा, जुआ के चंगुल से छुटकारा दिलवाकर सही जीवन जीने के लिए मार्ग दिखाना है। गुरु जी की शिक्षाएं आज भी देश व समाज को नया रास्ता दिखाने में अहम भूमिका निभा रही है।
आज जरूरत है तो गुरुओं के दिखाए रास्ते को अपनाने की व गुरुओं की शिक्षाओं को अपने जीवन में धारण करने की है। गुरु नानक देव की शिक्षाओं बारे में बोलते हुए उन्होंने कहा कि गुरु नानक जी का मुख्य उद्देश्य मानवतावाद व भाईचारे की भावना को प्रबल बनाकर विश्व में शांति स्थापित करना था। वह आपसी भाईचारे के प्रबल समर्थक होने के साथ धार्मिक कट्टरवाद के विरोधी थे। इसी भावना के चलते उन्होंने हिन्दू व मुस्लिम लोगों में आपसी भाईचारा स्थापित करने में काफी योगदान दिया। उनकी शिक्षाएं आज भी समाज के लिए प्रेरणा का कार्य कर रही हैं। गुरूद्वारा प्रधान गुरदेव सिंह चौहान, मुख्य सेवादार मलकीत सिंह ने कहा कि गुरु नानक देव जी ने आपसी भाईचारे और ऊंच-नीच के भेदभाव को खत्म करने का संदेश हमें दिया है। इसलिए हमें इसी संदेश को आगे लेकर जाना होगा।
आज की नई पीढ़ी को भी गुरु जी के बताए गए मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करना होगा, ताकि धर्म और समाज दोनों का भला हो सके। उन्होंने जो संदेश हमें दिया है अगर उसे हम अपने जीवन में अपनाएं तो इससे समाज और धर्म दोनों का भला होगा। कार्यक्रम का समापन अरदास और प्रसाद वितरित करने के साथ हुआ। समागम के पश्चात गुरू का लंगर अटूट बरताया गया। सेवादार बीकर सिंह रामगडीया,बलदेव सिंह,सरजीत सिंह,भग सिंह आदि ने सेवा कि ।
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