अहमदाबाद: कभी-कभी खुद का दांव खुद पर ही भारी पड़ जाता है। ऐसा ही कुछ भाजपा के साथ गुजरात चुनाव में हो रहा है। इस बार राज्य में कांग्रेस भाजपा के ही पुराने फॉर्मूलों से मुकाबला करने की रणनीति बनाई है। हार्दिक पटेल और कांग्रेस के बीच आरक्षण को लेकर समझौता हो गया है। हार्दिक ने कहा कि राज्य में अन्य वर्गों का मौजूदा 49% आरक्षण बरकरार रखते हुए पाटीदारों को अलग से आरक्षण दिया जाएगा।
संविधान के तहत 50% से ज्यादा आरक्षण देना संभव है। कांग्रेस सरकार बनते ही विधानसभा में बिल पारित किया जाएगा। मंडल आयोग के 22 बिंदुओं पर सर्वे भी करवाएंगे। कांग्रेस यह फॉर्मूला घोषणा पत्र में रखेगी। 1994 के बाद से 9 राज्यों ने 50% से अधिक आरक्षण दिया, जिनमें से कुछ पर कोर्ट ने रोक लगा दी हालांकि कर्नाटक, तमिलनाडु समेत कुछ राज्यों में यह व्यवस्था लागू है।
इस पर गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने कहा कि कांग्रेस और हार्दिक मिलकर पटेल समुदाय को बेवकूफ बना रहे हैं। मूर्ख ने दरख्वास्त दी, मूर्ख ने मान ली और दूसरे को मूर्ख बोलते हैं। वहीं, कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि पार्टी का आरक्षण फॉर्मूला संविधान के अनुसार ही है।
1200 करोड़ का ऑफर मिला
हार्दिकने कांग्रेस का सीधा समर्थन तो नहीं किया पर भाजपा पर आरोप लगाया कि वह पाटीदार वोट बांटने के लिए 200-300 करोड़ रु. खर्च कर निर्दलीय उम्मीदवार उतार रही है। जेल में उन्हें तत्कालीन प्रधान सचिव कैलाशनाथन ने आंदोलन खत्म करने के लिए 1200 करोड़ रुपए का ऑफर भी किया था।
हार्दिक का रुतबा अस्थायी
उपमुख्यमंत्रीनितिन पटेल ने कहा कि हार्दिक पटेल का रुतबा अस्थायी है। गुजरात चुनाव के बाद वह बीती बात बन कर रह जाएंगे। हार्दिक स्वार्थ के लिए समुदाय में फूट डाल रहे हैं। हार्दिक को कानून का ज्ञान नहीं है।
संविधान में तो यह ही नहीं लिखा कि आरक्षण हो
संविधान विशेषज्ञों का मत है कि 50% से ज्यादा आरक्षण को संभव बताने संबंधी हार्दिक पटेल का बयान न्यायिक प्रक्रिया में कहीं नहीं टिकता। संविधान विशेषज्ञ का कहा कि 50% से अधिक आरक्षण के लिए हार्दिक जिस संविधान की दुहाई दे रहे हैं, उसी संविधान में कहीं नहीं लिखा कि आरक्षण दिया जाना चाहिए या नहीं? चुनाव में हर तरह के वादे किए जाते हैं। इनका संविधान और संविधान की भावना से कोई लेना-देना नहीं होता।
सुप्रीम कोर्ट ने 15 नवंबर 2017 को राजस्थान सरकार द्वारा 54% आरक्षण मामले में सभी राज्यों को आदेश दिया था कि किसी भी सूरत में आरक्षण 50% से अधिक नहीं दे सकते। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के सीनियर एडवोकेट जयंत सूद ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट कोई भी निर्णय संविधान पर विचार करने के बाद देता है। यहां से जारी हर फैसला कानून बन जाता है।
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