भारतीय जनमानस में संस्कृत के प्रति अपार श्रद्धा-कामत

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संवाददाता भीलवाड़ा। भारतीय जनमानस में संस्कृत के प्रति अपार श्रद्धा है और इसी श्रद्धा के चलते भारतीय जनमानस संस्कृत को जानना और समझना चाहता है, उसके लिए संस्कृत भारती संगठन को और भी तेजी से कार्य का विस्तार करना होगा । यह बात संस्कृत भारती के अखिल भारतीय संगठन मंत्री दिनेश कामत ने संस्कृत भारती चित्तौड़ प्रांत द्वारा आयोजित ऑनलाइन संस्कृत संभाषण शिविर के समापन अवसर पर बोलते हुए कही । कामत ने कहा है कि उसके लिए एक सुदृढ़ संगठन की आवश्यकता है । उन्होंने सभी संस्कृत अनुरागी संस्थाओं को एक साथ आकर संस्कृत संभाषण अभियान से जुड़कर प्रत्येक भारतीय तक संस्कृत ज्ञान को पहुंचाने का आह्वान किया, उन्होंने कहा आज विश्व भर में संस्कृत सीखने वालों की संख्या तेजी से बढ़ रही है । संस्कृत हमें अपने आपको जानने का मार्ग प्रशस्त करती है । संस्कृत से ही विश्व में भारतीय संस्कृति की पहचान है, उन्होंने विश्व के कई देशों में संस्कृत भारती द्वारा चल रहे कार्यो के विषय में जानकारी दी । प्रांत संगठन मंत्री देवेंद्र पंड्या ने बताया कि 2 अक्टूबर से 12 अक्टूबर तक चले संस्कृत संभाषण शिविर में 400 से अधिक प्रतिभागियों ने पंजीयन करवाया था । कार्यक्रम की अध्यक्षता प्राज्ञ ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस बिजयनगर के अध्यक्ष डॉक्टर नवल सिंह जैन ने की । इस अवसर पर बोलते हुए डॉक्टर जैन ने कहा है कि संस्कृत भारती घर-घर संस्कृत जैसे अभियान के माध्यम से संस्कृत को जन जन तक पहुंचाने का कार्य कर रही है । वर्तमान में संस्कृत के पुनरुत्थान में लगे कार्यकर्ताओं की मेहनत की भूरी भूरी प्रशंसा की । विभाग संयोजक परमेश्वर प्रसाद कुमावत ने बताया कि कार्यक्रम में ध्येय मंत्र ललिता, गीत तान्या जोशी, मंगलाचरण गरिमा, स्वागत परिचय मधुसूदन शर्मा, संवाद नाटक मेघा व मंदाकिनी, अनुभव कथन मोक्षदा, शिव कुमार, कंचन, कल्याण मंत्र चंद्रशेखर, व धन्यवाद ज्ञापन डॉ कृष्ण कुमार कुमावत ने किया ।

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