नई दिल्ली: हिंदी भाषी राज्यों में सरकार ने अपने प्रचार-प्रसार के लिए पैसा पानी की तरह बहाया है। जिसका खुलासा RTI में हुआ है। आरटीआई के मुताबिक, नरेंद्र मोदी सरकार ने पिछले पांच सालों में हिंदी अखबारों में ज्यादा खर्च किए हैं। अंग्रेजी अखबारों में विज्ञापनों पर 719 करोड़ रुपये से अधिक धन खर्च करने के मुकाबले हिंदी अखबारों में विज्ञापनों पर 890 करोड़ रुपये से अधिक खर्च किया गया है।
- हिंदी अखबारों में सबसे आगे दैनिक जागरण रहा जिसे 2014-15 से 2018-19 की अवधि में 100 करोड़ रुपये से अधिक के सरकारी विज्ञापन मिले।
- दैनिक भास्कर को 56 करोड़ रुपये और 62 लाख रुपये के विज्ञापन मिले, जबकि हिंदुस्तान को 50 करोड़ रुपये और 66 लाख रुपये के सरकारी विज्ञापन मिले।
- पंजाब केसरी 50 करोड़ 66 लाख के सरकारी विज्ञापनों को हथियाने में कामयाब रहा और अमर उजाला ने सरकारी विज्ञापनों से 47.4 करोड़ रुपये की कमाई की।
- नवभारत टाइम्स को तीन करोड़ रुपये और 76 लाख और राजस्थान पत्रिका को 27 करोड़ रुपये और 78 लाख रुपये के सरकारी विज्ञापन मिले।
अंग्रेजी अखबारों में टाइम्स ऑफ इंडिया ने बाजी मारी
- अंग्रेजी भाषा में द टाइम्स ऑफ इंडिया ने बाजी मारी है। यह 217 करोड़ रुपये से अधिक का सरकारी विज्ञापन हासिल करने में कामयाब रहा। वहीं द हिंदुस्तान टाइम्स ने 157 करोड़ के विज्ञापन हासिल कर दूसरे स्थान पर रहा।
- जबकि डेक्कन क्रॉनिकल 40 करोड़ रुपये से अधिक के सरकारी विज्ञापनों के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
- द हिंदू (द हिंदू बिजनेस लाइन सहित) को पांच साल की अवधि में 33.6 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन मिले, जबकि द टेलीग्राफ को 20.8 करोड़ रुपये से अधिक के सरकारी विज्ञापन मिले।
- द ट्रिब्यून को 13 करोड़ रुपये के विज्ञापन मिले, जबकि डेक्कन हेराल्ड को इस अवधि में 10.2 करोड़ रुपये से अधिक सरकारी विज्ञापन मिले।
- द इकनॉमिक टाइम्स को 8.6 करोड़ रुपये से अधिक के विज्ञापन मिले, जबकि द इंडियन एक्सप्रेस को 26 लाख रुपये से अधिक और फाइनेंशियल एक्सप्रेस को 27 लाख रुपये से अधिक के सरकारी विज्ञापन मिले।
आपको बता दें, हाल ही में जारी हुई भारतीय पाठक सर्वेक्षण में बताया गया है कि हिंदी और क्षेत्रीय अखबार की रिडर ग्रोथ अंग्रेजी अखबारों के मुकाबले बेहतर हुई है। रजिस्ट्रार ऑप न्यूज पेपर्स फॉर इंडिया (RNI) की हालिया रिपोर्ट में कहा गया है कि हिंदी और क्षेत्रीय भाषा के अखबारों का प्रसार वित्तीय वर्ष 2009-2018 की अवधि में अंग्रेजी अखबारों के 2 प्रतिशत वृद्धि के मुकाबले क्रमश: 6 प्रतिशत और 7 प्रतिशत की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ा है।
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