केंद्र सरकार ने देशभर के मजदूरों के लिए गुरुवार को एक बड़ा फैसला लेते हुए न्यूनतम मजदूरी दर (Minimum Wages) बढ़ाकर 1,035 रुपये प्रतिदिन करने का ऐलान किया। सरकार का कहना है कि यह बढ़ोतरी महंगाई से निपटने में श्रमिकों की मदद करेगी, क्योंकि औद्योगिक श्रमिकों के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (CPI) में 2.40 अंकों की बढ़ोतरी हुई है।
श्रम मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि इस फैसले का मुख्य उद्देश्य मजदूरों को जीवनयापन की बढ़ती लागत से पार पाने में मदद करना है। इस संशोधन के बाद निर्माण, साफ-सफाई, सामान उतारने और चढ़ाने जैसे अकुशल काम करने वाले मजदूरों के लिए क्षेत्र ‘ए’ में न्यूनतम मजदूरी दर 783 रुपये प्रति दिन (20,358 रुपये प्रति माह) होगी। न्यूनतम मजदूरी दरों के बारे में विस्तृत जानकारी मुख्य श्रम आयुक्त (केंद्रीय) की वेबसाइट https://clc.gov.in/ पर उपलब्ध है।
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इसके अलावा, अर्ध-कुशल श्रमिकों के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 868 रुपये प्रति दिन (22,568 रुपये प्रति माह) और कुशल, लिपिक और बिना हथियार वाले चौकीदार या गार्ड के लिए न्यूनतम मजदूरी दर 954 रुपये प्रति दिन (24,804 रुपये प्रति माह) होगी।
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चौकीदारी या गार्ड को कितना मिलेगा वेतन
अत्यधिक कुशल और हथियारों के साथ चौकीदारी या गार्ड का काम करने वाले लोगों के लिए न्यूनतम वेतन दर 1,035 रुपये प्रति दिन (26,910 रुपये प्रति माह) होगी। नई वेतन दरें 1 अक्टूबर, 2024 से प्रभावी होंगी। बताते चलें कि न्यूनतम वेतन दरों में आखिरी बार अप्रैल, 2024 में संशोधन किया गया था।
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न्यूनतम मजदूरी दरों को कौशल स्तरों– अकुशल, अर्ध-कुशल, कुशल और अत्यधिक कुशल के साथ-साथ भौगोलिक क्षेत्र जैसे- ए, बी और सी के आधार पर बांटा जाता है। श्रम मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि केंद्र सरकार ने श्रमिकों, खासकर असंगठित क्षेत्र के काम करने वाले मजदूरों को समर्थन देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के तहत परिवर्तनीय महंगाई भत्ते (वीडीए) को संशोधित करके न्यूनतम मजदूरी दरों में बढ़ोतरी की घोषणा की है।
महंगाई कैसे प्रभावित करती है?
महंगाई का सीधा संबंध पर्चेजिंग पावर से है। उदाहरण के लिए यदि महंगाई दर 6% है, तो अर्जित किए गए 100 रुपए का मूल्य सिर्फ 94 रुपए होगा। इसलिए महंगाई को देखते हुए ही निवेश करना चाहिए। नहीं तो आपके पैसे की वैल्यू कम हो जाएगी।
CPI से तय होती है महंगाई
एक ग्राहक के तौर पर आप और हम रिटेल मार्केट से सामान खरीदते हैं। इससे जुड़ी कीमतों में हुए बदलाव को दिखाने का काम कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स यानी CPI करता है। हम सामान और सर्विसेज के लिए जो औसत मूल्य चुकाते हैं, CPI उसी को मापता है। कच्चे तेल, कमोडिटी की कीमतों, मेन्युफैक्चर्ड कॉस्ट के अलावा कई अन्य चीजें भी होती हैं, जिनकी रिटेल महंगाई दर तय करने में अहम भूमिका होती है। करीब 300 सामान ऐसे हैं, जिनकी कीमतों के आधार पर रिटेल महंगाई का रेट तय होता है।
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