मासूमों की मौत के हीरो नहीं विलेन हैं डॉ. कफील?

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लखनऊ: गोरखपुर के BRD मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन गैस सिलेंडरों की कमी से अस्पताल में हुई बच्चों की मौत ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया। सोशल मीडिया पर भी दोषियों के लिए कड़ी कार्रवाई की मांग की जा रही है। अगर आपको याद हो तो इस घटना के दौरान डॉ कफील खान का नाम काफी सुर्खियों में रहा। बताया जा रहा था कि उन्होंने ऑक्सीजन की कमी के चलते कई परिवारों की मदद की। लेकिन अब कुछ मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक डॉ कफील से जुड़ी कई नई बातें सामने आई है।

खबरों के अनुसार, डॉ कफील बीआरडी मेडिकल कॉलेज के इन्सेफेलाइटिस डिपार्टमेंट के चीफ नोडल ऑफिसर हैं लेकिन वो मेडिकल कॉलेज से ज्यादा अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस के लिए जाने जाते हैं। उनपर आरोप है कि वो अस्पताल से ऑक्सीजन सिलेंडर चुराकर अपने निजी क्लीनिक पर इस्तेमाल किया करता थे, जानकारी के मुताबिक कफील और प्रिंसिपल राजीव मिश्रा के बीच गहरी साठगांठ थी और दोनों इस हादसे के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। लेकिन हादसे के बाद से ही उन्हें फरिश्ते की तरह दिखाया गया था, कहा जा रहा है कि इसमें उन्होंने अपने पत्रकार दोस्तों की मदद ली।

कफील की भूमिका की जांच जरूरी

मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों ने बताया कि शुक्रवार को जब बच्चों की मौत की खबर पर हंगामा मचा तो कफील अपने प्राइवेट अस्पताल में थे। वहां से उन्होंने कुछ सिलेंडरों को अस्पताल भिजवा दिया। क्योंकि ये वो सिलेंडर थे जो वो खुद मेडिकल कॉलेज से चोरी करके ले गए थे। उन्होंने मीडिया को बताया कि इन सिलेंडरों का इंतजाम उन्होंने अपनी जेब से किया है जबकि ऐसा कुछ नहीं था।

इसके अलावा कुछ कर्मचारियों का कहना है कि, दिन में भी जब मीडिया पहुंची तो बार-बार कफील ही बाहर आकर मीडिया से बात करने लगे, जबकि वो इसके लिए अधिकृत नहीं हैं।बाकी डॉक्टरों का ध्यान बच्चों की देखभाल में था, लेकिन कफील का ध्यान मीडिया पर था। ऐसे में वो देश के सामने अपनी एक अच्छी छवि बनाना चाहते थे। किसी का भी ध्यान इस और नहीं गया कि वो ये सब कैसे कर रहे है।

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योगी को कुछ नहीं बताया

डॉ. कफील मेडिकल कॉलेज की खरीद कमेटी का मेंबर हैं, उन्हें भी ऑक्सीजन सप्लाई की स्थिति के बारे में पूरी जानकारी थी। 2 दिन पहले जब सीएम योगी आदित्यनाथ मेडिकल कॉलेज के दौरे पर आए थे वो भी उनके इर्द-गिर्द घूम रहे थे। लेकिन उसने भी उन्हें ऑक्सीजन की बकाया रकम के बारे में कुछ नहीं बताया।

हर खरीद में कमीशन तय

मेडिकल कॉलेज के कई कर्मचारियों और डॉक्टरों ने इस बात की पुष्टि की है कि डॉक्टर कफील वहां होने वाली हर खरीद में कमीशन लेता था और उसका एक तय हिस्सा प्रिंसिपल राजीव मिश्रा तक पहुंचाता था। ऑक्सीजन कंपनी पुष्पा सेल्स के साथ चल रहे विवाद में भी राजीव मिश्रा के साथ कफील का बड़ा हाथ था। हमने जितने लोगों से भी बात की उनमें से ज्यादातर का यही कहना था कि डॉक्टर राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी पूर्णिमा शुक्ला और डॉ. कफील अहमद सारे हादसे के असली दोषी हैं।
डॉ कफील का विवादों से पुराना नाता:
अस्पताल से मिली जानकारी के मुताबिक डॉक्टर कफील बलात्कार का आरोपी है। एक मुस्लिम महिला नर्स ने उस पर अपने क्लीनिक में बलात्कार का आरोप लगाया था। रिपोर्ट्स के मुताबिक इस मामले में कफील एक साल तक जेल की हवा भी खा चुका है।
एक मुस्लिम महिला नर्स ने आरोप लगाया था कि 15 मार्च 2015 को कफील और उसके भाई कासिफ जमील ने नौकरी के बहाने क्लीनिक में बुलाकर उसके साथ बलात्कार किया था।  पीड़ित नर्स जब शिकायत दर्ज कराने थाने गई तो उसे भगा दिया गया। पता चला कि डॉक्टर साहब समाजवादी पार्टी के करीबी हैं और पुलिस उनके खिलाफ एक्शन नहीं ले सकती।
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किसी तरह सिफारिशें लगाने के बाद 19 अप्रैल को पुलिस ने केस तो दर्ज कर लिया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की। पीड़ित नर्स ने इंसाफ के लिए कई जगह चक्कर लगाए, आखिर में हारकर वो हाई कोर्ट की शरण में गई। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जज ने तीन महीने के अंदर कार्रवाई का आदेश दिया। लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। छह महीने बाद महिला ने हाई कोर्ट में अवमानना की याचिका दी और इंसाफ की गुहार लगाई।
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