संवाददाता भीलवाड़ा। जीवन मे न किसी का बुरा कीजिए, न किसी की आलोचना। हम किसी को सुख देंगे तो हमे भी सुख मिलेगा और हम किसी को दुःख देंगे तो हमे भी दुःख ही मिलना है। उक्त विचार तपाचार्य जयमाला की सुशिष्या साध्वी डॉ चंद्रप्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। साध्वी ने कहा कि जो आनंद आपको संयुक्त परिवार में मिलेगा वो एकल परिवार में कभी प्राप्त नही हो सकता । आज जो परिवार टूट रहे है उसका मुख्य कारण विचारों में भिन्नता है। परिवार हो या समाज कोई गलती हो जाये तो उसे स्वीकार कर लीजिए। गलती स्वीकार करना हमारी कमजोरी नही अपितु बड़प्पन है। हमारा हर कार्य एवं सोच हमारे द्वारा बोये जा रहे वे बीज है, जिनके फल हमे ही प्राप्त होने है। जैसा बोएँगे, वैसा ही पायेंगे यह सुनिश्चित है साध्वी आनन्दप्रभा ने कहा कि हमारी पहली सीढ़ी विवेक और भाषा है। जानकर भी हम अगर अनजान रहेंगे तो जीवन का उद्धार होने वाला नही है। थोड़ा सा समय हम जिनवाणी सुनने में लगावे, बच्चो को इसके लिए प्रेरणा दे तभी बच्चे संस्कारवान बन पायेंगे। इसके लिये पहले स्वयं को संस्कारित होना पड़ेगा। संघ के सहमंत्री सुरेन्द्र संचेती ने बताया कि साध्वी मंडल के सानिध्य में माँ पद्मावती चालीसा का सामूहिक वाचन धर्म सभा मे किया गया। महावीर इंटरनेशनल चंदनबाला एवं महावीर सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वाधान में 14 अगस्त शनिवार को श्री शंकरदेव भारती (मिडिल स्कूल) में आयोजित रक्तदान शिविर में रक्तदान कर पुण्य के भागीदार बने। बाहर से आने वाले आगन्तुको का संघ के अध्यक्ष चन्द्र सिंह चौधरी मंत्री देवीलाल पीपाड़ा ने स्वागत किया।
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