BJP को भले ही तिवाड़ी से फायदा नहीं था, लेकिन नुकसान बहुत है, जानिए कैसे ?

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राजस्थान: घनश्याम तिवाड़ी के इस्तीफे के बाद प्रदेश की सियासत में फायदे-नुकसान के गुणा भाग भी होने लगे हैं। भाजपा दावा कर रही है कि तिवाड़ी के जाने से पार्टी को नुकसान नहीं होगा लेकिन सच यह है कि भाजपा एंटीइनकमबेंसी का सामना कर रही है और तिवाड़ी इसे अपने लिए सहानुभूति के रूप में बदलने की कोशिश करेंगे। पिछले चार सालों से वे लगातार अपनी ही सरकार के खिलाफ विधानसभा के अंदर और बाहर बयानों से मुश्किलें खड़ी करते रहे। इन मुद्दों को लेकर अब वे विधानसभा चुनावों में उतरेंगे।

वोटरों के जातिगत आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 9 विधानसभा सीटें ब्राह्मण बाहुल्य वाली हैं। वहीं 18 से ज्यादा विधानसभा सीटों पर सर्वाधिक वोटरों की संख्या में ब्राह्मण वोटर नंबर 2 या 3 पर है। ऐसे में इन सीटों पर तिवाड़ी कितना असर डालेंगे ये अगले विधानसभा चुनाव में दिखेगा।

पिछले विधानसभा चुनावों में मोदी लहर के बीच भी मीणा समाज के नेता किरोड़ी लाल मीणा ने नेशनल पिपुल्स पार्टी से 134 लोगों को लड़वाया और सवा चार प्रतिशत वोट हािसल किए। भाजपा और कांग्रेस इस बार नए चहरों की तलाश कर रही है। भाजपा में एंटीइनकमबेंसी देखते हुए बड़ी संख्या में मौजूदा विधायकों के टिकट कट सकते हैं। ऐसे में पार्टी में भितरघात की स्थिति का फायदा भी तिवाड़ी की नई पार्टी को मिल सकता है। संघ से उनके रिश्ते भी काफी पुराने हैं, ऐसे में चुनावों के दौरान उन्हें यहां से भी सपोर्ट मिल सकता है।

बेनीवाल का मिल सकता है साथ
कांग्रेस व भाजपा दोनों के खिलाफ अपना नया मोर्चा खड़ा करने में जुटे जाट नेता हनुमान बेनीवाल का भी तिवाड़ी को साथ मिल सकता है। दोनों ही नेता पिछले चार सालों से प्रदेश के दौरे कर रहे हैं राजनैतिक जमीन तैयार करने मेें जुटे हुए हैं। इसलिए दोनों नेताओं के पास फिलहाल प्रदेश में पहचान का संकट नहीं है।

शाह को लिखे पांच पेज के पत्र के कुछ अंश
खुद के लिए
मैं बचपन से संघ की शाखा में जाने लगा। 6-7 वर्ष की उम्र से। पिछले साढ़े चार वर्षों में मेरा ओर राजस्थान का कदम-दर-कदम अपमान हुआ। भ्रष्टाचार, सरकारी सम्पति ठिकाने लगाना, सही लोगों की अनदेखी जैसे कई बिंदुओं की वजह से प्रदेश में इमरजेंसी हालात है। हालांकि मैं पुरानी इमरजेंसी देख चुका हूं। जेल में दर्द झेल चुका हूं। उन्होंने जताने की कोशिश की कि वे प्रदेश के अलावा देशभर में संघ के वरिष्ठ लोगाें में से एक हैं।

राज्य नेतृत्व के लिए 
साढ़े चार वर्ष पहले, भाजपा के हाथ में प्रदेश की बागडोर सौंपी थी। इसके बाद मई 2014 में हुए लोकसभा चुनावों में भी राजस्थान की जनता ने राज्य की 25 में से 25 सीटें भाजपा को जीता कर देश में सत्ता परिवर्तन में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। केंद्र में और राज्य में दोनों जगह इस प्रकार का ऐतिहासिक बहुमत देने के बाद आज हालात यह है कि राजस्थान ठगा महसूस कर रहा है। सीएम ने दो हजार करोड़ रुपए का बंगला हमेशा के लिए अपने नाम कर लिया है।

केंद्रीय नेतृत्व के लिए
तिवाड़ी ने अपने पत्र में कहा कि राज्य सरकार और संगठन भ्रष्टाचार कर रहा है। केंद्रीय नेतृत्व इसे पनपा रहा है। जनता को लूटने जैसी पॉलिसी बनाई जा रही है। पार्टी के माध्यम से हुई नियुक्तियों में रुपए के लेनदेन शामिल है। साथ ही जिन्हें नियुक्ति दी गई उसमें भी भ्रष्टाचार कर रहे है। तिवाड़ी ने पत्र में अमित शाह से कहा कि स्पष्ट है कि पहले राजस्थान के भ्रष्टाचार के साथ आपका समझौता हुआ और अब आपने उसके सामने घुटने भी टेक दिए हैं।

सर्वाधिक ब्राह्मण वोटर वाली विधानसभा सीटें 
सरदारपुरा, बिलाड़ा, जोधपुर, फलौदी, अलवर ग्रामीण, बांदीकुई, नाथद्वारा, डूंगरपुर, रतनगढ़, दौसा, हवामहल, नसीराबाद, पाली, नवलगढ़, अजमेर उत्तर, हवामहल, शाहपुरा , जहाजपुर, बूंदी, मावली, वल्लभनगर, बांसवाड़ा, बस्सी, जमवारामगढ़, राजगढ़ – लक्ष्मणगढ़, उदयपुर ग्रामीण , चूरू और किशनपोल।

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