संवाददाता भीलवाड़ा। मोक्ष पाने के लिए तपस्या व जिनवाणी की साधना सर्वश्रेष्ठ है। शरीर एक दिन धोखा देने वाला है, लेकिन धर्म और जिनवाणी कभी साथ नही छोड़ती है। आत्मा अरूपी है जो हमे कही दिखाई नही देती है, इन्द्रिया रूपी है जो हमे दिखाई देती है। उक्त विचार साध्वी आनंद प्रभा ने महावीर भवन में आयोजित धर्मसभा में व्यक्त किये। तपाचार्य साध्वी जयमाला ने आज 41 उपवास का पारणा किया , सभी साध्वी मंडल एवं श्रावक – श्राविकाओं ने उनके तप की अनुमोदना की। ज्ञातव्य रहे कि आपने चेन्नई चातुर्मास में 111 उपवास की तपस्या की थी। आपने अनेक बड़ी बड़ी तपस्या करके अपने कर्मो की निर्जरा की है, आपकीं प्रेरणा से ताल में करीब 25 वर्षो से गौ शाला संचालित हो रही है, भीम में आनंद जनपरमार्थ संस्थान गरीबो की सेवा करने का कार्य कर रहा है। आसींद चातुर्मास में आपकीं प्रेरणा से तपस्या करने वालो की होड़ मची हुई है। साध्वी ने कहा कि सन्यास का मतलब संसार से पलायन नही है, वरन अपने मन में पलने वाली विकृतियों, बुराइयों और अंधविश्वासो का त्याग करने से है। मानसिक विकारों और दुर्बलताओं को छोड़ना ही त्याग है। मन को अगर मजबूत कर ले तो दुनिया मे ऐसा कोई विकार नही , जिसके वायरस पर विजय न पाई जा सके। धर्म सभा मे साध्वी चंदनबाला, साध्वी डॉ चंद्रप्रभा भी उपस्थित थे। धर्मसभा मे ताल निवासी गौतम दक, ललिता जैन, भँवर लाल कांठेड़, अशोक कुमार श्रीमाल ने अपने विचार रखे।
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