नरेन्द्र मोदी की वो 5 बड़ी बातें, जो जनता के बीच बनी काफी पॉपुलर

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नरेन्द्र मोदी की सरकार दुबारा सत्ता में आएगी या नहीं इसका फैसला कल यानी 23 मई को हो जाएगा। एक तरफ एग्जिट पोल पहले ही इशारा कर चुके हैं कि मोदी सरकार साल 2014 के मुकाबले इस बार प्रंचड बहुमत से जीत हासिल कर रही है। विपक्ष इस आंकड़ों पर यकीन करने को तैयार नहीं है। वहीं जानकारों का कहना है कि जमीनी हकीकत इन आकंड़ों से बिल्कुल हटकर है, एग्जिट पोल्स के आंकड़े गलत साबित होंगे।

इन सबके बीच ये जानना जरूरी है कि अगर एग्जिट पोल के आंकड़े सही साबित होते हैं तो जनता किन वजहों से मोदी सरकार को सत्ता में वापस देखना चाहती है। क्यों जनता के लिए एक मोदी चेहरे के लिए जमीनी मुद्दों से समझौता करना इतना आसान हो गया। चलिए यहां पढ़िए वो पांच बड़े मुद्दे जिससे नरेंद्र मोदी के पक्ष में लहर बनती नजर आ रही है।

आतंकवाद
उरी हमले के बाद भारत का रूख काफी सख्त रखा है। इसके बाद पुलवामा हमले का अंजाम हम सभी जानते हैं। मोदी सरकार ने आतंकवाद पर कड़ा रूख रखते हुए पाकिस्तान को हर मोर्चे पर अलग-थलग कर दिया है। ये भारत की नीति और दबाव का नतीजा है कि जैश ए मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को अंतराष्ट्रीय आतंकी घोषित कर दिया गया है। मोदी सरकार का आतंकवाद और पाकिस्तान को लेकर जो कड़ा रवैया है और जिस तरह इसका प्रचार जनता के बीच किया जाता है वह काफी प्रभाव डालने वाला है। इसलिए जनता को भी लगता है कि मोदी है तो मुमकिन है।

राष्ट्रीय सुरक्षा
हिन्दुस्तान की जनता को एक चीज हमेशा कमजोर और हिम्मतवान बनाती है वह राष्ट्रवाद और इसी से जुड़ी है राष्ट्रीय सुरक्षा। बीजेपी कट्टर राष्ट्रवाद पार्टी है। वह हमेशा कहती आई कि पहले राष्ट्र फिर परिवार। यानी पहले देश और फिर जनता। मोदी सरकार अपनी रैलियों में मुद्दों से ज्यादा राष्ट्रीय सुरक्षा पर बात करते हैं। राष्ट्र की सुरक्षा को लेकर मोदी कई बार कह चुके हैं कि वह भारत को आंतरिक और बाह्य रूप से कड़ी सुरक्षा देना चाहते हैं। आंतरिक खतरे के मुद्दे पर उन्होंने नक्सलवाद और उग्रवाद पर लगाम लगाने का दावा किया। ऐसा नहीं बीते पांच सालों में आंतरिक खतरे ने सीधे तौर से चुनौति नहीं दी लेकिन इसके बावजूद भी मोदी सरकार का राष्ट्रीय सुरक्षा को लेकर पलड़ा काफी मजबूत बना हुआ है।

उज्जवला योजना-
यह योजना नरेंद्र मोदी सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाओं में एक है। इसके तहत गरीब परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन दिया गया है। वो अलग बात है कि गरीबों ने कनेक्शन तो लिया लेकिन खाना आज भी चूल्हे पर बनाया जाता है। प्रधानमंत्री ने लोगों के स्वास्थ्य का ख्याल पूरा रखा है। इस योजना पर जितने वोट गरीब के आएंगे उससे ज्यादा मीडिल क्लास ने दिए है। ऐसा जानकारों का कहना है। उनका मानना है कि साल 2014 की तरह इस बार भी मीडिल क्लास का ज्यादातर वोट बीजेपी के खाते में जाने का अनुमान है।

स्वच्छता अभियान-
इस चुनाव में अगर कोई मुद्दा खास बनना चाहिए था वह था बेरोजगारी और किसान लेकिन बीजेपी ने सबसे ज्यादा  स्वच्छता के मुद्दे पर जोर दिया। भले ही सुबह-सुबह कचरा लेने आपके घर के बाहर गाड़ियां आती है लेकिन वो कचरा कहां डाला जाता। उससे कितनी नदियां प्रदूषित हो रही है। गंगा की सफाई क्या? आदि ऐसे मुद्दे थे जिनपर बात होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा हुआ नहीं। स्वच्छता के नाम पर केवल शौच पर ध्यान केन्द्रित किए रखा और सरकार जनता को मूर्ख बनाने में कामयाब भी रही। हम सब जानते हैं कि सरकार ने शौचालय बनाने का जो टारगेट रखा था उसे वह अभी पूरा नहीं कर पाई है और जहां शौचालय बनाएं हैं या तो लोगों ने उन्हें इस्तेमाल नहीं किया या फिर वह गंदगी के कारण इस्तेमाल करने लायक बचे नहीं। इन सबके बावजूद स्वच्छता मुद्दा जनता के बीच भुनाने के लिए सरकार सफल रही।

कमजोर विपक्ष
कांग्रेस का दस साल और उससे पहले का शासन जनता अच्छे से देख चुकी है। कांग्रेस में पहले के मुकाबले अब नेता इतने प्रभावी नहीं रहे कि जनता उन्हें चुनने। वहीं भाजपा के पास आज भी कई ऐसे कई चेहरे हैं जो जनता को प्रभावित कर सकते हैं। फिलहाल अभी अमित शाह और नरेन्द्र मोदी की जोड़ी का तोड़ विपक्ष के पास नहीं है। कांग्रेस ने कोशिश जरूर की थी प्रियंका गांधी को महासचिव बनाकर लेकिन उनका प्रभाव उतना नहीं पड़ा जितना सोचा गया था। वहीं जनता को राहुल गांधी की पप्पू वाली छवि से उभरने में समय लगेगा। जैसा कि आपको पता है केंद्र से बीजेपी सरकार को हटाने और नरेंद्र मोदी को हराने के लिए विपक्षी नेता एक हो गए हैं। इसी को मोदी पार्टी ने महामिलावटी गंठबंधन नाम देकर जनता का माइडसेट बदलने की कोशिश की और जनता के बीच भावनात्मक चीजों का जिक्र कर जनता से वोट बटोरने में कामयाबी कई हद तक मिली हो। ऐसा माना जा सकता है।

अगर मोदी सरकार आगामी पांच वर्षों के लिए दुबारा से सत्ता में आती हैं तो ये पांच वजह काफी अहम मानी जा सकती हैं। पुलवामा हमले के बाद से जनता का मिजाज मोदी सरकार के लिए बदला है। इस बात से कोई मुकर नहीं सकता फिर सरकार भले ही जनता के बारें में कितनी ही सीधी बात करें। लेकिन एक बात तय है हिन्दुस्तान की जनता सब जानती है फिर भी मुर्ख बनने से खुद को रोक नहीं पाती है।

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