स्मारक के फैसले से मराठा आंदोलन नरम पड़ेगा-
मिली खबरों के अनुसार भूमि पूजन समारोह में शिवाजी के वंशजों को भी बुलाया गया है। समारोह को मराठा समुदाय को लुभाने की कोशिश के तौर पर भी देखा जा रहा है। हाल में मराठा समुदाय ने आरक्षण की मांग को लेकर महाराष्ट्र में मूक मोर्चे निकाले थे। मराठा आंदोलन के कारण जिस तरह से ओबीसी और दलितों के मोर्चे निकले हैं उससे भाजपा को कोई बहुत बड़ा फायदा नहीं हुआ है। लेकिन ये बात सही है कि इस स्मारक के कारण पूरे मराठा नहीं तो कम से कम एक वर्ग बीजेपी के प्रति नरम हो भी सकता है।
इसलिए बहुत खास होगा यह स्मारक
- यह दुनिया का सबसे बड़ा स्मारक होगा।
- यह अरब सागर में तट से डेढ़ किलोमीटर अंदर बनेगा।
- स्मारक की कुल ऊंचाई 192 मीटर होगी।
- इसका प्लेटफॉर्म 77 मीटर होगा।
- इस प्लेटफॉर्म पर घोड़े पर बैठे छत्रपति शिवाजी की मूर्ति 114 मीटर की होगी।
- अमेरिका के स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी से भी बड़ी मूर्ति होगी।
- पूरे स्मारक को 13 हेक्टेयर में फैले चट्टानों पर बनाया जाएगा।
- इस स्मारक में एमपी थिएटर, लाइब्रेरी, फूड कोर्ट में होगा।
- इस कुल 3600 करोड़ की लागत आएगी।
सरकार की तिजोरी खाली-
राज्य के विकास के लिए जो बड़ी महत्वपूर्ण परियोजनाएं आने वाली हैं उसके लिए सरकार की तिजोरी में पैसे नहीं हैं। ऐसे वक़्त में सरकार इस स्मारक के लिए कितना पैसा देगी ये बड़ा कठिन सवाल लगता है। सरकार इस कार्यक्रम के लिए भीड़ जुटा रही है तो उसका मक़सद सीधा है कि आनेवाले समय में महाराष्ट्र में जिला परिषद और महापालिका चुनाव होने हैं। तो इस परीक्षा की तैयारी अभी से शुरू कर दी।
आपको बता दें राज्य की सरकार पर जबरदस्त दबाव है कि, जितना भव्य डॉ आंबेडकर स्मारक होगा, शिवाजी मेमोरियल भी उतना ही भव्य होना चाहिए। जातिगत राजनीति का यही दबाव विरोध के तमाम मुद्दों को अनसुना कर दे रहा है।