हनुमानगढ़। इंदिरा गांधी नहर परियोजना में बंदी के चलते भाखड़ा परियोजना की नहरें 12 मार्च से बंद करने के विरोध में भाखड़ा के किसानों ने बुधवार को जल संसाधन विभाग उत्तर खण्ड हनुमानगढ़ के मुख्य अभियंता कार्यालय के समक्ष महापड़ाव डाल दिया। महापड़ाव के दौरान आयोजित सभा को संबोधित करते हुए भाकियू के जिलाध्यक्ष रेशम सिंह मानुका ने कहा कि किसानों ने बिजाई को हुई गेहूं फसल को पकाई के लिए भाखड़ा परियोजना की नहरों में 31 मार्च तक सिंचाई पानी चलाने की मांग कर रहे है। उन्होने कहा कि लाल सुंडी की वजह से किसानों की नरमा को फसल पूर्णतया बर्बाद हो गई। नहर की मरम्मत के लिए 12 मार्च से भाखड़ा को नहरों में बंदी ली जा रही है। किसान की छह माह की कड़ी मेहनत के बाद आज पूरे क्षेत्र में गेहूं की फसल अच्छी खड़ी है।
अब पक्की हुई फसल को पानी नहीं मिलता है तो किसान की मेहनत पर पानी फिर जाएगा और पकाव पर खड़ी फसल तहस- नहस हो जाएगी। फसल को बचाने के लिए पानी की एक या दो बारी जरूरी है। किसान नेता रायसाहब मल्लड़खेड़ा ने कहा कि किसान बंदी के खिलाफ नहीं हैं। नहर की मरम्मत के लिए बंदी भी जरूरी है क्योंकि इसमें किसानों का ही फायदा है। लेकिन किसानों को उजाड़कर नहर की मरम्मत करना सही नहीं है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि 31 मार्च तक भाखड़ा की नहरों में पानी नहीं चलाया गया तो किसान आन्दोलन को तेज करेगे। किसान नेता ओम जांगु ने संबोधित करते हुए कहा कि 12 मार्च के बाद भाखड़ा की नहरों का रेगुलेशन नहीं बनाया गया है जबकि पिछले वर्ष 27 मार्च तक पानी चला था। तब जाकर गेहूं की फसल का पकाव हुआ था।
अब दो बारी पानी गेहूं की फसल को नहीं मिलता है तो गेहूं की फसल पूरी तरह बर्बाद हो जाएगी। इस संबंध में पूर्व में विधायकों के जरिए मुख्यमंत्री को भी ज्ञापन भेजा गया है कि 31 मार्च तक सिंचाई पानी दिया जाए। भाखड़ा क्षेत्र में गेहूं व सरसों की फसल सबसे ज्यादा होती है। गेहूं ऐसी फसल है जिसको 30 मार्च तक पानी चाहिए। लेकिन सिंचाई विभाग ने यह फैसला कर रखा है कि किसान की मेहनत पर पानी फेरना है।उन्होंने कहा कि देश का तंत्र कुछ इस तरह से बन चुका है कि हो-हल्ला करने के बिना आपकी बात नहीं सुनी जाती। किसान भी हर साल आंदोलन कर पानी लेने को मजबूर हैं। सरकार जान बूझकर किसानों को परेशान कर रही है। उनकी मांग 31 मार्च तक दो-दो बारी पानी देने की है ताकि गेहूं की फसल का पकाव हो सके। इस मौके पर रेशम सिंह माणुका, रायसाहब मल्लड़खेड़ा, रघुवीर वर्मा, संदीप कंग, महेन्द्र प्रताप सिंह ढिल्लो, राजेन्द्र पाल सिंह निक्का, बलविन्द्र सिंह बराड़, महंगा सिंह, संदीप कंग,सरपंच रमनदीप कौर, मनदीप मान, सुभाष गोदारा, पालाराम, रोसपाल सिंह,कुलदीप मान उस्नाक खान व अन्य हनुमानगढ़ व गंगानगर के किसान मौजूद थे।
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