किसानों और मजदूरों ने जिला कलक्ट्रेट के सामने धरना-प्रदर्शन करते हुए महापड़ाव डाला

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हनुमानगढ़। हनुमानगढ़ में 16 फरवरी को भारत बंद के दौरान मामला दर्ज करने के विरोध में संयुक्त किसान मोर्चा हनुमानगढ़ के बैनर तले किसानों और मजदूरों ने जिला कलक्ट्रेट के सामने धरना-प्रदर्शन करते हुए महापड़ाव डाल दिया। विरोध-प्रदर्शन के जरिए किसानों और मजदूरों ने जंक्शन पुलिस थाना में दर्ज किया गया मामला वापस लेने के साथ लाठीचार्ज के दोषी पुलिस कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग की है। किसान गेहूं की फसल की प्रति क्विंटल 2700 रुपए न्यूनतम समर्थन मूल्य करने की मांग की। किसान और मजदूरों के विभिन्न संगठनों ने जिला कलेक्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय के दोनों मुख्य गेटों पर भारी पुलिस बल तैनात रहा। किसानों को आगे बढ़ने से रोकने के लिए प्रशासन की ओर से कलेक्ट्रेट के सामने बैरिकेडिंग करवाई गई।

महापड़ाव डालने वाले किसानों ने दोनों मुख्य गेट के आगे धरना दिया। इसके चलते दोनों मुख्य गेट पुलिस ने बैरिकेडिंग करके बंद कर दिए। इससे पहले जिला कलेक्ट्रेट के सामने एकत्रित हुए किसानों और मजदूरों ने कलेक्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक कार्यालय के मुख्य दरवाजों के सामने बैठकर प्रदर्शन किया। सभा को संबोधित करते हुए किसान नेता रेशम सिंह माणुका ने कहा कि 16 फरवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की ओर से किए गए भारत बंद के आह्वान के बीच किसानों की ओर से जिला मुख्यालय पर ट्रैक्टर मार्च निकाला जा रहा था।

ट्रैक्टर मार्च जब बाईपास स्थित डीएवी सेंटेनरी पब्लिक स्कूल के आगे पहुंचा तो पीएम के वर्चुअली कार्यक्रम के चलते स्कूल के बाहर तैनात पुलिस जवानों ने शांतिपूर्ण तरीके से ट्रैक्टर मार्च निकाल रहे किसानों और किसान प्रतिनिधियों पर लाठीचार्ज कर दिया। लाठीचार्ज में एक किसान का सिर फूट गया, जबकि कई अन्य किसानों के चोटें आई। भारतीय किसान यूनियन बीकानेर संभाग सचिव किसान नेता रायसाहब मल्लड़खेड़ा व सद्दाम हुसैन ने कहा कि इस घटनाक्रम के बाद उसी दिन शाम को जंक्शन पुलिस थाना में 21 नामजद सहित 80 अन्य किसानों के खिलाफ हत्या का प्रयास और राजकार्य में बाधा उत्पन्न करने के आरोप में मामला दर्ज कर लिया जाता है। इसका किसान संगठन विरोध कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मांगों पर कार्रवाई नहीं होने पर आंदोलन तेज किया जाएगा।

जिला परिषद सदस्य मनीष गोदारा व रघुवीर वर्मा ने कहा कि यह वहीं किसान हैं जो 27 महीने पहले 13 महीने तक दिल्ली के बॉर्डरों पर बैठा रहा था। मोदी सरकार ने मांगों को लेकर लिखित में समझौता तो कर लिया, लेकिन उन्हें लागू नहीं किया। इसलिए अब किसान दिल्ली की ओर कूच करने को तैयार है। उन्होंने कहा कि किसानों को दिल्ली जाने से रोकने के लिए सरकारों की ओर से सड़कों पर कीलें लगवा दी हैं, लेकिन आगामी लोकसभा चुनावों में प्रचार-प्रसार के लिए गांवों-शहरों में आने वाले भाजपा नेताओं और प्रत्याशियों का भी इसी तरह स्वागत किया जाएगा। उन्होंने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक में जो भी तय होगा, उसे लागू किया जाएगा। भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट के किसान नेता रेशम सिंह मानुका ने कहा कि हमारी प्रशासन से लगातार वार्ता चल रही थी। हमने जो रूट मैप दिया था। हम उसी रूट मैप पर जा रहे थे, लेकिन पुलिस ने जान बूझकर उसी रूट पर कार्यक्रम रख वहां बेरिकेटिंग की गई, ताकि किसानों को रोका जा सके। हमने वार्ता में आश्वस्त किया था कि हमारा रास्ता बिल्कुल क्लियर है।

हम किसी प्रकार से पीएम मोदी के वर्चुअल कार्यक्रम में नहीं जाएंगे। इस दौरान पुलिस ने लाठीचार्ज किया जो निंदनीय है। धरना प्रदर्शन के बाद लगभग 2 घण्टे तक किसानों व प्रशासन की वार्ता हुई जिसमें जिला पुलिस अधीक्षक विकास सागंवान ने आश्वासन दिया कि नामजद के खिलाफ हुए मुकदमों की निष्पक्ष जांच की जायेगी जिसपर किसानों ने धरना समाप्त किया। किसानों ने कहा कि आन्दोलन संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर निरन्तर जारी रहेगा और इस बार एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही आन्दोलन समाप्त होगा। इस मौके पर रेशम सिंह माणुका, रायसाहब मल्लड़खेड़ा, बलविन्द्र सिंह बराड़, सद्दाम हुसैन, मनीष मक्कासर, रायसिह बंसरीवाला, लखवीर सिंह, भाखड़ा नहर परियोजना के चयरमैन मनप्रीत सिंह मक्कासर, संदीप कंग, मलकीत सिंह, उस्नाक खान, रघुवीर वर्मा, रामेश्वर वर्मा, बहादुर सिंह चौहान, सुरेन्द्र शर्मा, नवनीत कौर सरपंच, रमनदीप कौर सरपंच व अन्य किसान मौजूद थे।

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