सारंगी वादक उस्ताद कमल साबरी बोले- भारत का शास्त्रीय संगीत अध्यात्म का संगीत, इसलिए दुनिया है इसकी दीवानी
हनुमानगढ़। प्रसिद्ध सारंगी वादक उस्ताद कमल सावरी गुरूवार को हनुमानगढ़ के हनुमानगढ़ इंटरनैशनल स्कूल के विद्यार्थियों से रूबरू हुए। इससे पहले उन्होंने सारंगी, सारंगी में उनके द्वारा किए गए प्रयोग, शास्त्रीय संगीत व संगीत से जुड़े अन्य आयामों के बारे में मीडिया को बताया। साबरी ने कहा कि विदेश में संगीत देते समय उन्हें इस बात का गर्व रहता है कि वे देश का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा वे हमेशा भारत के झंडे को आगे रखते हैं। विदेशों में प्रस्तुति देते समय वे देश की अलग छाप छोड़ते हैं। उन्होंने कहा कि शास्त्रीय संगीत अध्यात्म का संगीत है। हम ये नहीं कहते कि अन्य देशों के संगीत को सुने नहीं, लेकिन देश के संगीत को कभी भूलना भी नहीं चाहिए। भारत शास्त्रीय संगीत की पूरी दुनिया दीवानी है। सांरगी के साथ किए गए प्रयोग पर साबरी ने कहा कि उन्होंने संगीत में अनेक नए प्रयोग किए हैं। एक समय था, जब गम के अवसर पर संगीत में सारंगी को सुनते थे। लेकिन उन्होंने सारंगी के संगीत को खुशी के मौके पर भी प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि सारंगी में 100 रंग होते हैं और उन्होंने सभी रंगों को अलग-अलग मुकाम पर पेश करने की कोशिश की है। वे अपने परिवार की सातवीं पीढ़ी हैं, जो सारंगी बजा रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके पिता उस्ताद साबरी खान ने दुनिया में सारंगी को नई पहचान दी और जब देश आजाद हुआ था तो 1947 में उनके पिता ने संसद हाउस सारंगी वादन किया था। साबरी ने बताया कि उन्होंने सारंगी में सेलो स्ट्रींग का प्रयोग किया। सेलो स्ट्रींग जोड़ने से सारंगी का साउंड और भी अच्छा हो गया है। साबरी देश व विदेश में अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार मिले हैं।
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