हनुमानगढ़। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघ के बैनर तले प्रदेश भर में कर्मचारियों की हड़ताल जारी है। जिसके कारण न्यायिक कार्य भी प्रभावित हो रहा है। हनुमानगढ़ में मंगलवार को सातवें दिन भी न्यायिक कर्मचारियों की हड़ताल जारी रही। मंगलवार को न्यायिक कर्मियों ने मुँह पर हाथ रखकर मौन प्रदर्शन कर विरोध दर्ज करवाया। ज्ञात रहे कि न्यायिक कर्मचारी सुभाष मेहरा को न्याय देने के साथ ही उचित जांच कर कार्रवाई की मांग भी रखी गई है। राजस्थान न्यायिक कर्मचारी संघर्ष समिति के प्रदेश सहसयोजक योगेश महर्षि ने बताया कि न्याय दिलवाने वाले न्याय की गुहार को लेकर पिछले 7 दिनों से आंदोलनरत हैं परंतु न्याय न्याय की आवाज सुनने के विरोध में मंगलवार को मुंह पर हाथ बांधकर विरोध दर्ज करवाया गया है। ज्ञात रहे कि जयपुर में कार्यरत नए कर्मचारी सुभाष मेहरा को लगातार प्रताड़ित किया जा रहा था। जिसके कारण उसके साथ यह वारदात हुई है।
उन्होंने आरोप लगाया कि सुभाष मेहरा ने आत्महत्या नहीं कि उसकी हत्या की साजिश हुई है। लेकिन इस मामले में पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जा रही और मुकदमा भी दर्ज नहीं किया जा रहा। जिसके कारण प्रदेशभर के न्यायिक कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। इसे लेकर जयपुर में आमरण अनशन के साथ ही धरना दिया जा रहा है और इसी के तहत प्रदेश व्यापी आंदोलन की शुरुआत की गई है। हनुमानगढ़ न्यायालय में भी कार्य का बहिष्कार जारी रखते हुए कर्मचारियों ने सुभाष मेहरा की मौत मामले में उचित जांच करते हुए न्याय की गुहार लगाई जा रही है।
मुख्य मांग में प्रथम सूचना रिपोर्ट दर्ज हो, संबंधित न्यायिक अधिकारी के विरुद्ध विभागीय जांच संस्थित हो, मृतक सुभाष मेहरा की हत्या की सीबीआई जांच हो, जज को एपीओ करो व उसके विरूद्ध विभागीय जांच हो, मृत सुभाष मेहरा के फोन की सिम जप्त हो, पीड़ित परिवार को 50 लाख का मुआवजा तथा परिवार के एक सदस्य को राजकीय नौकरी प्रदान की जावे, राजस्थान के समस्त अधिनस्थ न्यायलयों में दास व गुलामी प्रथा बंद की मांग की गई। उन्होने बताया कि जब तक मुकदमा दर्ज कर निष्पक्ष कार्यवाही का आश्वासन प्रदेश नेतृत्व को नही मिलता तब तक यह हड़ताल जारी रहेगी। इस दौरान सुधीर दाधीच, मनोज रहेजा, मनीष शर्मा, राकेश तिवाड़ी, अमित भाम्भू, रूपेश व्यास, संजय सुथार, परमजीत सिंह, वीरेंद्र पाल शर्मा, जितेंद्र सिंह, वीरेंदर कारयाणी, वीरेंदर पाल सहित अन्य सहित अन्य कर्मचारी मौजूद थे।
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