नई दिल्ली: वर्ष 2022 तक हम धरती में मौजूद गर्मी से भी बिजली बनाने में सक्षम होंगे। सरकार ने अगले 5 साल में भू-तापीय उर्जा (जियोथर्मल) से 1,000 मेगावाट क्षमता के प्लांट लगाने का लक्ष्य रखा है। इससे सालाना औसतन 830 करोड़ यूनिट बिजली पैदा होगी। नवीन नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय इस दिशा में काम कर रहा है। देशभर में ऐसी जगह की पहचान कर ली गई है। जहां जियोथर्मल से बिजली बन सकती है।
दैनिक भास्कर की खबर के अनुसार, केंद्रीय विद्युत नियामक आयोग ने इसकी लागत का अनुमान लगा लिया है। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि जियोथर्मल से देश में 10,000 मेगावाट तक बिजली पैदा की जा सकती है। ब्यूरो ऑफ एनर्जी एफिशिएंसी और एमएनआरई इस पर रिसर्च और डवलपमेंट कर रहा है। देशभर में 340 ऐसी जगहें चिह्नित कर ली गई हैं। ये इलाके 11 राज्यों जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, बिहार, झारखंड, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, गुजरात, ओडिशा, आंध्रप्रदेश और पश्चिम बंगाल में हैं।
पृथ्वी में 3 से 4 किलोमीटर गहराई (क्रस्ट) में उष्मा गर्म चट्टान या पानी के रूप में मौजूद है। इससे बनी बिजली को भू-तापीय (जियोथर्मल) बिजली कहते हैं। इसके लिए चिह्नित जगहों में से अधिकतर पर पृथ्वी के अंदर का तापमान 35 डिग्री सेल्सियस है। कुछ जगह बॉयलिंग पॉइंट तापमान 84 डिग्री तक है। छत्तीसगढ़ के सरगुजा में यह 98 डिग्री सेल्सियस तक पाया गया है।
जियोथर्मल बिजली के फायदे
- जियोथर्मलप्लांट से कार्बन डाईऑक्साइड का उत्सर्जन लगभग के बराबर होता है। यह पर्यावरण के लिए अच्छा है।
- पृथ्वी में उष्मा लगातार बनती रहती है। यह खत्म नहीं होती। इसीलिए जियोथर्मल को अक्षय ऊर्जा का दर्जा दिया गया है।
- 3 जियोथर्मल प्लांट लगाने के लिए कम जमीन की जरूरत होती है। एक मेगावाट का प्लांट लगाने के लिए सिर्फ 0.75-1.2 एकड़ जमीन चाहिए। जबकि सोलर प्लांट लगाने के लिए 5-8 एकड़ जमीन लगती है।
इन कंपनियों ने दिखाई रुचि
देश में एनटीपीसी, एनएचपीसी, ओएनजीसी जैसी सरकारी कंपनियों के साथ टाटा पावर जैसी निजी क्षेत्र की कंपनियां जियोथर्मल से बिजली बनाने की संभावना तलाश रही हैं।
एक यूनिट बिजली 12 रु. की पड़ेगी
जियोथर्मल का एक मेगावाट का प्लांट की स्थापना की लागत 25 से 30 करोड़ रुपए है। ऐसा एक प्लांट सालाना 83 लाख यूनिट जियोथर्मल बिजली औसतन पैदा करेगा। इस बिजली की लागत 12 रु. यूनिट आने का अनुमान है। यह काफी मंहगी है। इसे सस्ता बनाने की कोशिश की जा रही है। निजी क्षेत्र को निवेश के लिए सब्सिडी दी जा सकती है। पीपीपी मॉडल को अपनाने जैसे उपाय शामिल हैं। इसी तरह सौर ऊर्जा से बनने वाली बिजली की कीमत 10 रु से 4 रु./यूनिट हो गई है।