क्या है ERCP? आखिर क्यों अटकी थी दो राज्यों में अबतक ये परियोजना, जानें पूरा मामला

ईआरसीपी राजस्थान की सबसे बड़ी नहर परियोजना है। इसके तहत 13 जिले झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक शामिल है। 

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किसे उम्मीद थी कि मध्यप्रदेश और राजस्थान इन दोनों राज्यों को ऐसे मुख्यमंत्री मिलेंगे जो एक कई सालों से चले आ रहे दोनों राज्यों के बीच पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) (Eastern Rajasthan Canal Project) जल विवाद को कुछ घंटों की बैठक के बाद समाप्त कर देंगे। दरअसल, सीएम मोहन यादव और सीएम भजनलाल शर्मा ने राजस्थान और मध्यप्रदेश के बीच चले दो दशक पुराने तीन नदियों के जल बंटवारे और बैराज विवाद का हल निकाल लिया।

रविवार को जयपुर में राजस्थान के मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा और मध्यप्रदेश के सीएम डॉ. मोहन यादव के बीच अहम बातचीत हुई। इसके बाद केंद्र सरकार, राजस्थान और मध्यप्रदेश सरकार के बीच एमओयू पर हस्ताक्षर हुए। और इस तरह एमपी-राजस्थान के 26 जिलों में पानी का संकट कम किया जा सकेगा।

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मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा ने कहा कि आज बहुत ही बड़ा सुखद दिन है, कांग्रेस सरकार ने इस मुद्दे को उलझाने की कोशिश की। केंद्रीय जल शक्ति मंत्री ने इसे मूर्त रूप देते हुए आगे बढ़ने का प्रयास किया। मुख्यमंत्री भजनलाल बोले की अब चाहे वन क्षेत्र, औद्योगिक क्षेत्र या कृषि क्षेत्र हो सभी को फायदा मिलेगा। भजनलाल शर्मा ने दावा किया कि प्रधानमंत्री के नेतृत्व में किया गया काम जल्द पूरा होता है। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री का कोटि-कोटि आभार व्यक्त करता हूं।

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नदी जल विवाद के चलते मध्य प्रदेश के 13 जिले के लोग परेशान हो रहे थे। अब दो दशक से लंबित पार्वती-कालीसिंध-चंबल परियोजना का काम शुरू होगा, इससे मालवा-चंबल के तीन लाख हेक्टेयर पर सिंचाई और बढ़ पाएगी। इसमें इंदौर, उज्जैन, आगर-मालवा, शाजापुर, राजगढ़, देवास, ग्वालियर, मुरैना, गुना, भिंड, श्योपुर और धार जिले शामिल हैं।

राजस्थान के 13 जिलों को मिलेगा पानी
ईआरसीपी राजस्थान की सबसे बड़ी नहर परियोजना है। इसके तहत 13 जिले झालावाड़, बारां, कोटा, बूंदी, सवाईमाधोपुर, करौली, धौलपुर, भरतपुर, दौसा, अलवर, जयपुर, अजमेर एवं टोंक शामिल है।

मध्यप्रदेश में बनेंगे 7 बांध
ईआरसीपी परियोजना शिवपुरी, ग्वालियर, भिंड, मुरैना, इंदौर, देवास सहित कई जिलों में पेयजल के साथ औद्योगिक जरूरतों को पूरा करेगी। इसके तहत 7 बांध बनाए जाएंगे। इस परियोजना से दोनों ही राज्यों में औद्योगिक निवेश, पर्यटन और शैक्षणिक संस्थाओं को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, सिंचाई क्षेत्र और अधिक समृद्ध होगा।

पानी का ऐसे होगा बंटवारा
  • 1723 एमसीएम पीने का पानी के लिए
  • 1500 एमसीएम पानी सिंचाई के लिए
  • 284.4 एमसीएम पानी उद्योगों के लिए

इन नदियों को आपस में जोड़ा जाएगा
परियोजना के तहत कालीसिंध, कुन्नू, कुल, पार्वती और मेज नदी सब बेसिन का पानी बनास, पार्वती, कालीसिंध, मोरेल, बाणगंगा व गंभीर नदी सब बेसिन में पहुंचाया जाना है।

ईआरसीपी परियोजना के तहत क्या बनेगा?
26 छोटे और बड़े बांधों का निर्माण किया जाएगा। जिससे दो लाख हेक्टेयर नए कमांड क्षेत्र के साथ 80 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई में सुधार आएगा। करीब 1268 किलोमीटर लंबा कैनाल भी विकसित किया जाएगा।

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ईआरसीपी परियोजना से जुड़ा क्या है विवाद?
पूर्वी राजस्थान नहर परियोजना (ईआरसीपी) पूर्वी राजस्थान के 13 जिलों के लिए सिंचाई और पेयजल की योजना है  ईआरसीपी के लिए बांध बनाने व पानी के शेयर को लेकर मध्य प्रदेश और राजस्थान के बीच विवाद हो गया। राजस्थान का तर्क था कि 2005 में हुए समझौते के अनुसार वो इस नदी पर बांध को बना रहे थे लेकिन मध्य प्रदेश सरकार ने ईआरसीपी के लिए एनओसी नहीं दी। इसके बाद राजस्थान सरकार ने खुद के खर्च पर ईआरसीपी को पूरा करने का फैसला किया। बांध बनने लगा तो मध्य प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। इसके बाद ये परियोजना कांग्रेस और भाजपा के बीच में फंस कर रह गई थी। राजस्थान में विधानसभा चुनावों का सबसे बड़ा मुद्दा भी ये ही परियोजना बनीं।

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क्यों जरूरी है ईआरसीपी परियोजना ?
पूर्वी राजस्थान में एक ही नदी चंबल है। जानकारों के मुताबिक, इस नदी में हर साल 20 हजार मिलियन क्यूबिक मीटर पानी यमुना-गंगा के जरिए बंगाल की खाड़ी में बेकार बह जाता है। इसी बेकार बहकर जाने वाले पानी के उपयोग के लिए ईआरसीपी योजना बनाई गई है। ईआरसीपी से पूर्वी राजस्थान की 11 नदियों को आपस में जोड़ा जाना है। परियोजना के पूरे होने से मानसून में बेकार बहकर जाने वाले बाढ़ के पानी का उपयोग होगा। इसी से 13 जिलों को सिंचाई, पेयजल और उद्योगों के लिए पानी मिल सकेगा।

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