नई दिल्ली: वरिष्ठ पत्रकार सागरिका घोष की लिखी किताब Indira: India’s Most Powerful Prime Minister में देश की पहली महिला प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के जीवन को लेकर कई अहम खुलासे किए गए। सागरिका की किताब के अनुसार फिरोज ने 1955 में जब जीवन बीमा का राष्ट्रीयकरण किया, प्रेस का संसदीय कार्यवाही की रिपोर्टिंग की आजादी दिलाई, हालांकि बाद में इस कानून को इंदिरा ने ही इमरजेंसी के दौरान कुचल दिया। किताब के अनुसार, दिल्ली में फिरोज को नेहरू की मौजूदगी से घुटन होती थी और तीन मूर्ति भवन में रहना उनके लिए असहनीय हो गया था।
फिरोज की आशिकी के किस्से दिल्ली के गलियारों में मशहूर थे। वह अक्सर तारकेश्वरी सिन्हा, महमूना सुल्तान और सुभद्रा जोशी जैसी सांसदों के साथ अपनी दोस्ती का प्रदर्शन करते थे, वह भी ऐसा दिखाने के लिए जैसे वह अपने ससुराल वालों को शर्मिंदा कर रहे हों।
हालांकि तारकेश्वरी सिन्हा ने यह कहते हुए खंडन किया , ”अगर एक मर्द और औरत साथ में लंच कर लें तो अफेयर की अफवाह उड़ने लगती है… मैंने एक बार इंदिरा से पूछा था कि क्या वह अफवाहों में यकीन करती है, चूंकि मैं खुद भी शादीशुदा थी। उन्होंने कहा कि वह अफवाहों में यकीन नहीं रखती।”
फिरोज के किस्सों की हकीकत चाहे जो भी हो, उनके बारे में बातें खूब होतीं। अधिकतर लोगों को यही लगता था कि या तो फिरोज के अफेयर्स के चलते दोनों के बीच तलाक होगा या फिर इंदिरा की बेवफाई के चलते। ऐसी अफवाह थी कि इंदिरा का अफेयर नेहरू के सेक्रेटरी, एमओ मथाई से था। मथाई 1946 से लेकर 1959 तक नेहरू की परछाई रहे थे। वह अनथक काम करने में यकीन रखते थे, बेबाक थे जिसपर नेहरू ने पूरी तरह से भरोसा किया।
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बता दें कि झारखंड के जमशेदपुर के सरायकेला-खरसवां में ग्रामीणों ने दो अलग अलग घटनाओं में बच्चा चोर समझकर 7 लोगों की पीट पीट कर हत्या कर दी थी। इस घटना में मरने वाले में 4 मुस्लिम और 3 हिन्दू शामिल थे। सागरिका ने इसी घटना के बाद ट्वीट किया था। इस ट्वीट को देखने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता मधु पूर्णिमा किश्वर ने गुस्से में ट्वीट किया कि अगर भारत सरकार सागरिका घोष के खिलाफ कार्रवाई नहीं करती है तो मैं निश्चित रूप से सागरिका घोष के खिलाफ पुलिस में शिकायत दर्ज करूंगी।
मधू पूर्णिमा के इस ट्वीट के बाद सागरिका घोष ने अपने ट्वीट को डिलीट कर दिया और माफी मांगी। सागरिका घोष ने लिखा, ‘मैंने मुसलमानों पर हमले के बारे में अपना ट्वीट डिलीट कर दिया है, और अगर किसी की भावनाओं को चोट पहुंची है तो मैं माफी मांगती हूं, लेकिन मैं साम्प्रदायिक दंगों पर अपनी निगाह बनाए रखूंगी।’ वैसे सागरिका अपनी पत्रकारिता से इतनी चर्चा में नहीं रहती जितनी सोशल मीडिया पर गलत ट्वीट कर रहती हैं।
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