दिल्ली यूनिवर्सिटी एक बार फिर सुर्खियों में है। इस बार मामला प्रेम संबधों से जुड़ा हुआ है। डेली मेल में छिपी खबर के मुताबिक लड़के ने अपनी गर्लफ्रेंड से बदला लेने के लिए उसकी तस्वीरें पोर्न वेबसाइट पर अपलोड कर दी। डिपार्टमेंट ऑफ टेक्नोलॉजी उसकी मदद करने की बजाय मौजूदा कानून उसकी परेशानी और बढ़ा रहा है। सरकार का तकनीकि विभाग उसकी फोटो हटाने में असमर्थता जाहिर कर रहा है क्योंकि सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के अनुसार किसी भी साइट से कोई भी कंटेंट बिना कोर्ट ऑर्डर नहीं हटाया जा सकता है। लड़की को फोटो हटवाने के लिए 16 दिन का इंतजार करना पड़ा।
एडवोकेट प्रशांत माली का कहना है कि कोर्ट से ऑर्डर लाना वास्तव में एक लंबी और संपूर्ण प्रक्रिया और इससे पीड़िता को मुसीबत का सामना भी करना पड़ सकता है। मदद की गुहार लगाने वाली लड़की ने कहा कि कुछ समय पहले मुझे न्यूड फोटो पोर्न वेबसाइट्स पर पड़ी होनी की जानकारी मिली। लड़की ने फोटो अपलोड करने का आरोप अपने एक्स बॉयफ्रेंड पर लगाया है। पीड़िता ने कहा कि कॉलेज डांस सोसाइटी ज्वाइन किए जाने से आरोपी गुस्सा में था और जिसके कारण उनका ब्रेकअप हो गया।
तीन महीने पहले मेरी एक दोस्त का मैसेज आया और उसने बताया कि इंटरनेट पर मेरी तस्वीरें पड़ी हुई हैं। मेरी दोस्त ने मुझे बताया कि यह फोटो मेरे पूर्व प्रेमी द्वारा अपलोड की गई। जिसके बाद कई अंजान लोगों से भी मुझे मैसेज प्राप्त हुए। उसने बताया कि लिंक वायरल होने के बाद मेरा घर से निकला मुश्किल हो गया था। जिसके बाद उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराने का फैसला किया और 7 जनवरी को एफआईआर दर्ज कराई।
पुलिस ने इस मामले में आरोपी के खिलाफ आईटी एक्ट के साथ-साथ आपराधिक धमकी की शिकायत दर्ज की। पुलिस को 23 जनवरी को कोर्ट का ऑर्डर मिल गया। जांचकर्ता कामिनी गुप्ता ने बताया कि तस्वीरों को तुरंत हटा दिया गया और एक टीम को आरोपी की तलाश में गोवाहटी भेजा गया है। साल 2015 में सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा था कि अनलाइन कंटेट को हटाने के लिए किसी भी सरकारी एजेंसी को कोर्ट के नोटिफिकेशन या ऑर्डर की जरुरत होगी।