ढोली समाज ने मृत्यु भोज बंद करने का लिया संकल्प

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हनुमानगढ। ढोली समाज के युवाओं ने समाज में प्रचलित मृत्यु भोज की परंपरा को बंद करने के लिए एक महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की। इस बैठक के मुख्य अतिथि नगर पालिका के चेयरमैन हरजिंदर सिंह रमाणा थे, जबकि विशेष अतिथि के रूप में हरिहर बुदरक (घड़साना) उपस्थित रहे। बैठक की अध्यक्षता सतपाल सितेका ने की।
इस अवसर पर समाज के कई गणमान्य व्यक्तियों ने अपने विचार प्रस्तुत किए। मुख्य अतिथि हरजिंदर सिंह रमाणा ने कहा कि मृत्यु भोज जैसी परंपराएं आर्थिक रूप से कमजोर ढोली समाज पर भारी बोझ डालती हैं। उन्होंने बताया कि समाज के अधिकतर परिवार आर्थिक रूप से संपन्न नहीं हैं, जिसके कारण उनके बच्चे शिक्षा से वंचित रह जाते हैं और कई बच्चे गलियों में भीख मांगने को मजबूर होते हैं। ऐसी स्थिति में जब लोग अपने बच्चों की शिक्षा और भविष्य को सुरक्षित नहीं कर पा रहे हैं, तो मृत्यु भोज पर भारी खर्च करना समाज के लिए एक बड़ा संकट बन जाता है।
विशेष अतिथि हरिहर बुदरका ने अपने संबोधन में कहा कि मृत्यु भोज की परंपरा न केवल आर्थिक भार डालती है, बल्कि समाज में एक अनुचित प्रतिस्पर्धा भी उत्पन्न करती है। कई परिवार इस भोज के लिए कर्ज लेते हैं और फिर वर्षों तक उसे चुकाने में संघर्ष करते हैं। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि समाज इस दकियानूसी परंपरा को समाप्त करे और अपनी ऊर्जा व संसाधन बच्चों की शिक्षा तथा समाज के समग्र विकास में लगाए।
बैठक में सतपाल सितेका, भादूराम सतेका, मास्टर साहब राम (शेरवाला), विजय बगड़वा सहित कई समाजसेवी और युवा उपस्थित थे। सभी ने एकमत होकर निर्णय लिया कि भविष्य में मृत्यु भोज की परंपरा को बंद किया जाएगा और लोगों को इसके लिए जागरूक किया जाएगा। वक्ताओं ने कहा कि समाज को विकास की ओर ले जाने के लिए हमें उन रूढ़ियों को छोड़ना होगा जो हमें आगे बढ़ने से रोकती हैं।
बैठक के अंत में यह संकल्प लिया गया कि ढोली समाज में मृत्यु भोज की प्रथा को समाप्त करने के लिए लगातार प्रयास किए जाएंगे। युवाओं ने समाज में जागरूकता फैलाने के लिए अभियान चलाने की भी योजना बनाई। इस बैठक को समाज के लिए एक ऐतिहासिक पहल के रूप में देखा जा रहा है, जो आने वाली पीढ़ियों के लिए एक नया संदेश लेकर आएगी।

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