संवाददाता भीलवाड़ा। पांच गांवो से ग्रामीण डीजे व झंडा लेकर माता के दरबार मे पहुच थे । रायला ईरांस में आंवण माता की लीला भी अनोखी है , यहाँ भक्त मन्नत के लिये पाती मांगते है । आँवण के हर रविवार को श्रगार के साथ सिर पर फूल पत्ती का श्रगार होता है । जहाँ माता के चरणों मे भक्त अपनी कामना को लेकर पर्ची लिखकर रखते है और माता राणी आशीर्वाद स्वरूप फूल पत्ती से लेकर रज तक पर्ची पर गिरने से भक्त की मनोकामना पूर्ण होती है ओर भक्त अपनी कामना स्वरूप कार्य पूर्ण होंने पर भक्त चढ़ावा चढ़ाता है ।
वही ईरांस आँवण माता के मेले में ग्रामवासी बड़े धूमधाम से डीजे के साथ धजा लेकर माँ के दरबार में भक्त पहुँच थे । भक्त डोलर चकरी में झूलते हुए आनन्द लिया गया । वही महिलाओं , युवक , युवक्तिया ने खरीददारी का लुफ्ट लेते भी दिखे । रायला रॉड ईरांस भैरु नाथ से 20 फिट झंडा के साथ ग्रामवासी नाचते गाते हुए भक्त मेला में पहुच थे । आंवण माता के दरबार में पांच डीजे के साथ क्षेत्रवासी बड़ी संख्या में पहुच थे । वही रायला , ईरांस , लक्ष्मीपुरा , खारड़ा , रामपुरिया , धुवालिया , बांगा का खेड़ा , कालसो का खेड़ा , कालियास सहित अन्य गाँवो से बड़ी संख्या मे मेले देखने पहुच थे । मेले में जेलेबी , पकोड़ी , मावा के सहित अन्य व्यजन के साथ आनन्द में मेला का आनन्द लिया गया है । ईरांस आंवण मातेश्वरी मैला शरदीय नवरात्री में दुर्गाअष्टमी के दिन मैला भरता है जहां आस पास के गाँव वाले डीजे व ढोल नंगाड़ो व झंडा लेकर बिन्डोली के साथ मैले मे पहुचते है । हर वर्ष की भाती ईस वर्ष भी ईरांस व बागा का खेड़ा व धुवालिया के ग्रामीण भी मेले मे ढोल नंगाड़ो के झंडे लेकर मेले मे पहुचे व बच्चों व बुजुर्गो ने मेले में मिटाई व डोलर चक्करी व खिलोने व आदि सामानो की खरीददारी का आंनद लिया।
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