हनुमानगढ़। टाउन के दशहरा ग्राउंड में वैदिक कायाकल्प परिवार के तत्वावधान में 100 कुण्डीय श्रीगणेश पंचायतन महायज्ञ के बुधवार को विधि विधान से जारी रहा। यज्ञ मण्डप की जहां हजारों श्रद्धालुओं ने परिक्रमा कर मन्नते मांगी तो वही प्रतिदिन देश विदेश से संतों का हनुमानगढ़ पहुचने पर स्वागत करते हुए आशीर्वाद लिया। विश्व शांती व निरोगी बनाने के उद्देश्य से हनुमानगढ़ में शुरू हुए 100 कुण्डीय गणेश पंचायतन महायज्ञ में गुरूवार को महायज्ञ के साथ ही मद्भागवत में कथावाचक वृंदावन के ऋषि महाराज ने श्रीकृष्ण जन्म की कथा का विस्तार से वर्णन किया। कथा के दौरान पूरा पंडाल ब्रज में हो रही जय जयकार और नंद घर आनंद भयो, जय कन्हैया लाल की जैसे भजनों से पूरा पंडाल गूंज गया। कथावाचक ने कहा कि जब-जब धर्म की हानि होती है, इस पृथ्वी में तब-तब भगवान अधर्म का नाश करने और धर्म का पताका फैलाने स्वयं आते है।
कंस के अत्याचार और संतों के कष्टों को दूर करने कर लिए भगवान श्री कृष्ण ने कंस के कारागृह में अवतार लिया। जन्म के समय माया से सभी पहरेदार सो जाते हैं एवं कारागार का ताला खुल जाता है। वसुदेव यमुना पार करके कृष्ण को गोकुल में छोडकऱ आते हैं। वहां से योगमाया रूपी कन्या लेकर आते हैं। उसने कंस को याद दिलाया कि अब उसका अंत निश्चित है। यहां गोकुल में जैसे ही नंद बाबा यशोदा ने भगवान को देखा तो सब कुछ बलिहार कर दिया और फिर पूरे 84 कोस ब्रज को बुलाकर कृष्ण जन्मोत्सव मनाया गया। सभी देवी देवता भी रूप बदल बदलकर दर्शन करने पहुंचे। कथा के दौरान श्रीकृष्ण जन्म की झांकी भी सजाई गई।
कृष्ण के जन्म होते ही भजनों पर सभी भक्त झूम उठे। कथा रोजाना दोपहर 2 से शाम 5 बजे तक होगी। इसके बाद कथास्थल पर प्रसाद का वितरण किया गया। जिसके बाद पंडाल में संत सम्मेलन हुआ जिसमें संतों ने विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। रात्रि 8 बजे कोलकात्ता मंडल की ओर से विभिन्न लीलाएं आकर्षण का के केंद्र रहीं। इस मौके पर काशी की दिव्य आरती देखने के लिए बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचे। श्रद्धालुओं में काशी की दिव्य आरती को लेकर विशेष उत्साह नजर आया। गौरतलब है कि 17 मार्च तक चलने वाले इस धार्मिक आयोजन के लिए दशहरा ग्राउंड में तीन यज्ञशालाएं बनाई गई हैं जहां यज्ञ किया जा रहा है।
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