कलेक्ट्रेट पर हिंदू समाज का प्रदर्शन, बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार रोकने की मांग

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हनुमानगढ़। मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में सर्व हिंदू समाज ने एकजुट होकर बांग्लादेश में हिंदुओं पर हो रहे अत्याचार और निर्दोष लोगों की गिरफ्तारी के खिलाफ जोरदार प्रदर्शन किया। सर्व हिन्दू समाज के बेनर तले सैकड़ों लोगों ने शांतिपूर्ण ढंग से प्रशासन को ज्ञापन सौंपा। इस प्रदर्शन का उद्देश्य बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के खिलाफ हो रहे उत्पीड़न को रोकने के लिए भारत सरकार और वैश्विक समुदाय का ध्यान आकर्षित करना था। प्रदर्शन के दौरान आशीष पारीक ने बांग्लादेश में मौजूदा हालात पर चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि शेख हसीना सरकार के तख्तापलट के बाद वहां अल्पसंख्यक समुदाय, विशेषकर हिंदुओं पर हिंसात्मक हमले तेज हो गए हैं। वामपंथियों और जिहादी गुटों द्वारा योजनाबद्ध तरीके से हिंदू समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है। धार्मिक स्थलों को तोड़ा जा रहा है, महिलाओं के साथ बलात्कार की घटनाएं बढ़ रही हैं, और निर्दोष हिंदुओं को गिरफ्तार किया जा रहा है। इन हालात ने कई हिंदुओं को अपना घर, व्यवसाय और देश छोड़ने पर मजबूर कर दिया है।

मनोज शर्मा, विक्रम प्रधान, प्रताप सिंह शेखावत, डॉ निशांत बतरा सहित अन्य वक्ताओं ने आरोप लगाया कि बांग्लादेश की वर्तमान सरकार इन घटनाओं को रोकने में पूरी तरह विफल रही है। उन्होंने कहा कि यह न केवल मानवाधिकारों का उल्लंघन है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय के लिए भी शर्मनाक स्थिति है। हिंदू समाज ने यह भी सवाल उठाया कि आखिर क्यों विश्व समुदाय और मानवाधिकार संगठन इस मुद्दे पर चुप्पी साधे हुए हैं। ज्ञापन में भारत सरकार की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। प्रदर्शनकारियो ने कहा कि बांग्लादेश में हिंदू समुदाय के उत्पीड़न के प्रति भारत का उत्तर न्यूनतम रहा है। यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत जैसे पड़ोसी और सांस्कृतिक रूप से जुड़े देश ने अब तक इस मामले में सक्रिय हस्तक्षेप नहीं किया है। प्रदर्शनकारियों ने बांग्लादेश सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर हिंसा को रोकने, निर्दोष हिंदुओं की रिहाई, और अल्पसंख्यकों को पूर्ण सुरक्षा प्रदान करने की मांग की। इस्कॉन के मुख्य पुजारी चिन्मयदास कृष्ण दास की गिरफ्तारी को अन्यायपूर्ण बताते हुए उनकी तुरंत रिहाई की भी मांग की गई।

ज्ञापन के माध्यम से यह भी अपील की गई कि भारत सरकार और वैश्विक समुदाय इस मुद्दे को गंभीरता से लें और बांग्लादेश सरकार पर दबाव डालें। प्रदर्शन में भाग लेने वाले लोगों ने कहा कि यह केवल एक समुदाय का मुद्दा नहीं है, बल्कि मानवता का सवाल है।

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