भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर किसानों का प्रदर्शन

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हनुमानगढ़। भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी देने की मांग को लेकर भारतीय किसान यूनियन के नेतृत्व में सैकड़ों किसान सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता कार्यालय पहुंचे। किसानों ने वहां धरना दिया और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी की। लेकिन जब किसानों को मुख्य अभियंता से मिलने का अवसर नहीं मिला, तो जिलाध्यक्ष संदीप सिंह ने फोन पर उनसे वार्ता की। इस दौरान मुख्य अभियंता के कथित रूप से विवादास्पद बयान ने किसानों के आक्रोश को और भड़का दिया। जब किसानों ने अपनी फसलों को बचाने के लिए पानी की जरूरत बताई, तो मुख्य अभियंता ने कहा, “मैंने पीले चावल देकर थोड़ी कहा था कि कनक (गेहूं) बोओ।” इस बयान से नाराज किसानों ने इसे अपमानजनक और गैर-जिम्मेदाराना बताया।
मुख्य अभियंता के इस व्यवहार के खिलाफ किसानों ने जिला कलेक्टर से मुलाकात की। किसान प्रतिनिधियों ने मुख्य अभियंता पर किसानों से दुर्व्यवहार करने का आरोप लगाते हुए तत्काल प्रभाव से उन्हें पद से हटाने (APO करने) की मांग की। इसके साथ ही किसानों ने 20 जनवरी को हुए समझौते को लागू करने की भी बात कही, जिसमें 4 मार्च से 20 मार्च तक भाखड़ा नहर में 1250 क्यूसेक पानी छोड़े जाने की सहमति बनी थी।
किसानों का कहना है कि उनकी गेहूं की फसल पकने की कगार पर है और यदि तय समय पर पानी नहीं दिया गया तो फसल बर्बाद हो जाएगी। इससे किसानों को भारी आर्थिक नुकसान होगा। किसानों ने आरोप लगाया कि सरकार किसानों के हितों की रक्षा करने की बात तो करती है, लेकिन उसके अधिकारी किसानों के साथ अपमानजनक व्यवहार कर रहे हैं।

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