बड़ा सवाल: ‘कैशलेस इंडिया’ कितनी बड़ी चुनौती?

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पीएम मोदी के नोटबंदी फैसले के बाद भारत को पूरी तरह से कैशलेस बनाने की योजना पर जोरों से चर्चा चल रही है। लेकिन क्या आपको पता है आज भी भारत के कई लोग इंटरनेट और फोन का इस्तेमाल करना ना तो जानते है और ना ही इन माध्यमों से लेन-देन करना सुरक्षित समझते। इसके अलावा जिस देश में जहां “आज नकद और कल उधार” जैसे मुहावरे चलते हो वहां कैश-लेस अर्थव्यवस्था के लक्ष्य को हासिल करना आसान काम नहीं होगा।

आपको बता दें फिलहाल देश में 40 करोड़ से भी ज़्यादा इंटरनेट यूजर्स हैं और उम्मीद है कि 2020 तक यह संख्या 70 करोड़ तक पहुंच जाएगी। लेकिन इसके बावजूद अभी भी देश में ऑनलाइन और मोबाइल सेवा से खरीददारी करने वालों की संख्या देश की सवा अरब आबादी की तुलना में बहुत कम है।

बड़ी चुनौती है ‘कैशलैस इंडिया’

भारत में ज्यादातर लोग नकद में ही लेन-देन करना पसंद करते हैं इस मानसिकता को बदलने में अभी लंबा समय लगेगा और कोशिशें भी बड़े पैमाने पर करनी होगी। भारत की आधी आबादी आज भी देहाती इलाकों में रहती है। इन इलाकों में जरूरत की चीजे मिलना एक बड़ा मसला बना हुआ है और वहां कैश-लेस इंडिया की चुनौती अपने आप भी एक बड़ा सवाल है।

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कैशलेस होने से ये होगी बाधाएं-

  • टेक्नोलॉजी की सीमाएँ और उस पर निर्भरता
  • अशिक्षित आबादी कैसे होगी कैशलेस
  • सुविधाओं और आधारभूत संरचना की कमी
  • ताकतवर बैंको और वित्तीय संस्थानों की मनमानी का डर
  • हद से अधिक निगरानी के खतरे बढ़ेंगे
  • साइबर क्राइम और जालसाजी के खतरे

कैशलेस होने के भी हैं फायदे-
– टैक्स चोरी होगी मुश्किल
– जाली नोटों की समस्या से निजात
– बैंकों के पास होगी विकास के लिए पूंजी
– अपराध और आतंकवाद की फंडिंग कठिन
– ई-कॉमर्स को मिलेगा बढ़ावा
– बैंकिग,टैक्स व्यवस्था और निगरानी आधुनिक होगी

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कैसे पेमेंट करेगा भारत का पढ़ा-लिखा कस्टमर?

  • पहली शर्त है कि दुकानदार और ग्राहक, दोनों के पास एक जैसा ई-वॉलेट मोबाइल ऐप हो। इसी से वह पेमेंट करेगा। इस ऐप में कस्टमर क्रेडिट या डेबिट कार्ड से पैसे डालता है।
  • कस्टमर दुकानदार के पास स्टिकर पर उपलब्ध क्यूआर कोड को ई-वॉलेट ऐप के जरिए स्कैन करेगा और पेमेंट की जाने वाली रकम को ऐप में दी गई जगह पर भरेगा।
  • क्यूआर कोड या मोबाइल कैमरे में किसी भी तरह की दिक्कत होने पर दुकानदार के मोबाइल नंबर के जरिए भी ऐप से पेमेंट किया जा सकता है।
  • एक क्लिक करते ही पैसा कस्टमर के ऐप से दुकानदार के ऐप में ट्रांसफर हो जाएगा। इस पैसे को दुकानदार आगे पेमेंट के लिए भी इस्तेमाल कर सकता है या अपने बैंक अकाउंट में भेज सकता है।
  • पेमेंट को बैंक अकाउंट में भेजने के लिए बैंक को 1 फीसदी का चार्ज देना होता है। अभी नोटबंदी की वजह से पेटीएम ने 30 दिसंबर तक यह ट्रांसफर फ्री कर दिया है। अगर 50 हजार से ज्यादा रुपये जमा करने हैं तो पैन कार्ड के डिटेल्स देने होंगे। इस काम के लिए पेमेंट वॉलेट कंपनी के लोग से मदद ली जा सकती है। अगर KYC की औपचारिकताएं पूरी नहीं हैं तो तीन दिन का वेटिंग पीरियड होगा तो इसके बाद ही पैसे ट्रांसफर।

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कैशलेस बनाम कैश
1. बीते पांच साल के दौरान देश में मोबाइल बैंकिंग में 1000 गुना इजाफा देखने को मिला है।
2. एनईएफटी के माध्यस से कैशलेस ट्रांसफर में बीते पांच वर्षों के दौरान 20 गुना इजाफा हुआ है।
3. बैंकिग में आरटीजीएस और चेक पेमेंट बीते पांच साल के दौरान महज दो गुना हुआ है।
4. बीते पांच साल के दौरान चेक पेमेंट और नेट बैंकिंग में गिरावट दर्ज हुई है।
5. पांच साल पहले तक बैंकिंग व्यवस्था में तीन-चौथाई पेमेंट चेक के माध्यम से किया जाता था।

अब कैश ट्रांजैक्शन और कैशलेस ट्रांजैक्शन की इन सुविधाओं और दिक्कतों को ध्यान में रखते हुए सरकार और रिजर्व बैंक की कोशिश है कि देश को कैश से कैशलेस इकोनॉमी की तरफ बढ़ाया आगे जाए। हालांकि, इसके लिए बेहद जरूरी है कि देश में बैंकिग को अधिक पॉपुलर किया जाए। देश की ज्यादा से ज्यादा जनसंख्या को न सिर्फ बैंकिंग के दायरे में लाने को प्राथमिकता दी जाए बल्कि उन्हें बैंकिंग के जरिए खरीदारी और बिकवाली करने में भी सक्षम किया जाए।