हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग की

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हनुमानगढ । द ईग्ल फाउंडेशन द्वारा माननीय प्रधानमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखकर हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित करने की मांग की। अध्यक्ष प्रशांत सोनी ने बताया कि कि भारत देश जो अपनी विभिन्नताओं के लिए जाना जाता है यहा हर राज्य की अपने राजनैतिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक पहचान है लेकिन उसके बाद भी देश की कोई राष्ट्रभाषा नही है। हिन्दी को 14 सितंबर 1949 को राजभाषा का दर्जा तो मिला लेकिन राष्ट्र भाषा का नही। हमारे देश में लगभग 22 मुख्य भाषाएं है लेकिन कोई राष्ट्रभाषा नही है हर राज्य की अपनी एक मुख्य भाषा बनकर रह गई है।

फिर चाहे वह आधार कार्ड हो, या रेल्वे स्टेशन या सड़क पर लगे दूरी के पत्थर आज एक राज्य का कोई व्यक्ति किसी अन्य राज्य में व्यापार या घूमने के उदेश्य से जाता है तो भाषा के कारण उसके अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है जिसके चलते वह ठगी का शिकार भी हो जाता है भारत के कई राज्य ऐसे भी है जहां न तो विद्यालयों में हिन्दी पढाई जाती है और शायद लोगो को हिन्दी का अर्थ पता नहीं हो जैसे केरल, तमिलनाडू, उड़ीसा, आंधप्रदेश, पश्चिम बंगाल आदि। संविधान के अनुच्छेद 351 में केन्द्र सरकार को हिन्दी भाषा के प्रसार पचार व विकास को बढ़ावा देने का अधिकार है लेकिन सरकार का इस और कभी ध्यान ही नहीं गया.

आज देश पिछड़ने का कारण यह भी है इस हेतू हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा का दर्जा दिया जाना चाहिए और देश के हर विद्यालय में हिंन्दी अनिवार्य कर पढाई जानी चाहिए। द ईग्ल फाउंडेशन ने प्रधानमंत्री के नाम पोस्टकार्ड लिखकर हिन्दी भाषा को राष्ट्रभाषा घोषित कर प्रत्येक राज्य में अनिवार्य रूप से स्कूलो में पढाई जाना सुनिश्चित करने की मांग की। इस मौके पर अध्यक्ष प्रशांत सोनी, एडवोकेट यादवेन्द्र सिंह सेखो, दर्शित मोदी ,तुषान्त, दिवाकर ,हितेश सैन, शक्ति ,पारस, महाबेश, चीनू, सागर , रितेश , केशव,  शेखर खिची , अशोक खिची , शक्ति राजपूत, मोहित ओड , केशव सहित अन्य युवा मौजूद थे।

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