पीएम मोदी का नाम इतिहास के समाज सुधारकों में लिखा जाएगा- अमित शाह

अमित शाह ने कहा, मैं बतौर हिंदू मानता हूं कि सती प्रथा और दहेज समाज में कुप्रथा बन चुके थे। हमने इसे भी खत्म किया। नाबालिगों का विवाह कराने पर सख्त सजा का प्रावधान किया है।

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने रविवार को दिल्ली के कॉन्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित एक कार्यक्रम में तीन तलाक के बारे में कहा, तीन तलाक किसी में हटाने की हिम्मत नहीं थी। यह ऐतिहासिक कदम उठाने के लिए पीएम मोदी का नाम इतिहास के समाज सुधारकों में लिखा जाएगा।

अमित शाह ने कहा कि तीन तलाक एक कुप्रथा थी, इसमें कोई संदेह नहीं है। तीन तलाक पर कानून बनने से मुस्लिम महिलाओं को हक मिला है। उन्होंने कहा कि 16 घोषि‍त इस्लामी देशों ने अलग-अलग समय पर ट्रिपल तलाक को तलाक देने का काम किया है, हमें 56 साल लगे। इसका मुख्य कारण कांग्रेस की तुष्ट‍ीकरण की राजनीति थी। अगर यह इस्लाम के खिलाफ होता तो ये देश गैर इस्लामिक काम क्यों करते।

उन्होंने कहा, ”अगर इस कुप्रथा को नहीं हटाते तो यह भारतीय लोकतंत्र पर सबसे बड़ा धब्बा होता। शाह बानो ने तीन तलाक को कोर्ट में चुनौती दी थी। तब कोर्ट ने इसे असंवैधानिक बताया था। उस दौरान राजीव गांधी की बहुमत वाली सरकार थी और सरकार ने संसद में कानून बनाकर शीर्ष अदालत के फैसले को बदल दिया।”

कांग्रेस पर शाह का तीखा हमला-
शाह ने कहा, ”राजीव गांधी की सरकार में मंत्रिपद छोड़कर आरिफ मोहम्मद खान तीन तलाक के खिलाफ अभियान में शामिल हो गए थे। ये लड़ाई जारी रही और शायरा बानो ने स्पीड पोस्ट से तलाक मिलने पर कोर्ट से गुहार लगाई। सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को गैर-संवैधानिक और गैर-इस्लामिक करार दिया। शायरा को मुस्लिम कट्टरपंथियों का विरोध झेलना पड़ा।’’ उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन इस बार राजीव गांधी नहीं नरेंद्र मोदी की सरकार थी और हमने मुस्लिम महिलाओं के हक में फैसला लिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर यह कुरान के खिलाफ है तो मुस्लिमों के हक में कैसे हो सकता है।”

शाह ने कहा, ”मैं बतौर हिंदू मानता हूं कि सती प्रथा और दहेज समाज में कुप्रथा बन चुके थे। हमने इसे भी खत्म किया। नाबालिगों का विवाह कराने पर सख्त सजा का प्रावधान किया है। हमारा कानून शिक्षा देने के लिए है, लोगों के मन में डर रहता है कि ऐसा नहीं करना है। लोग तीन तलाक से पहले परिवार के साथ बैठकर बात करेंगे। मतभेद सुलझाएंगे। उन्होंने कहा, ‘‘विपक्ष कहता है कि जब किसी को जेल हो जाएगी तो वह मुआवजा कैसे देगा। गुलाम नबी आजाद से कहना चाहता हूं कि आप तो मुस्लिम हैं, पता नहीं है क्या तीन तलाक में मुआवजे का प्रावधान ही नहीं था।”

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