घोड़ों की बैन दवाई को बड़े शौक से खाने को तैयार युवा, वजह जानकर छूट जाएंगे पसीने

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नई दिल्ली: फिटनेस को लेकर आज का युवा काफी सक्रिय है। गठीला बदन पाने के लिए घंटों जिम में पसीना बहाने के लिए भी तैयार है। ऐसे में कुछ युवा है जो बिना मेहनत के दवाईयों के माध्यम से जल्द से जल्द मजबूत मसल्स, सिक्स पैक बनाने के लिए मौत को भी गले लगाने को तैयार है।

मेल इंडिया की एक रिपोर्ट में बेहद चौंकाने वाले खुलासा हुआ है। जिसमें कहा गया है कि युवाओं में बढ़ता गठीला बदन बनाने का चलन उनके लिए जानलेवा सिद्ध हो रहा है। दरअसल, रिपोर्ट में बताया गया है कि, अपने शरीर को सिल्वेस्टर स्टलोन जैसे गठीले रूप में बनाने के लिए दिल्ली सहित कई बड़े शहरों के युवा ‘हॉर्स पॉवर डोज’ यानी घोड़ों की दवाइयां ले रहे हैं और एक तरह से अपनी जान को जोखिम में डाल रहे हैं।

रिपोर्ट में बताया कि युवा एडीनोसाइन मोनोफॉस्फेट (AMP) का डोज ले रहे हैं। आपको बता दें, यह दवा घोड़ों के लिए बैन है। इस दवा का इस्तेमाल घोड़ों को रेस में तेज दौड़ाने के लिए किया जाता है। ऐसी दवाएं लेने वाले लोग लंबे समय तक वर्कआउट कर सकते हैं और उनके शरीर में तेजी से और अस्वाभाविक रूप से मसल्स बन जाती है, हालांकि यह बेहद नुकसानदेह है।

डॉक्टर और जिम ट्रेनर बताते हैं कि पसीना बहाने और मसल बनाने का यह आसान तरीका काफी खतरनाक है। एक बार इनका सेवन शुरू करने के बाद इन लोगों को ऐसी दवाइयां लेने की आदत हो जाती है, जो किसी भी तरह से इंसान के लिए ठीक नहीं हैं।

अगर कोई इसे बाद में छोड़ना चाहता है तो उसे डिप्रेशन, बेचैनी, अनिद्रा जैसी समस्या हो जाती है, वह आक्रामक हो जाता है और उसका आईक्यू लेवल कम हो जाता है, यही नहीं, कार्डिएक अरेस्ट उसके शरीर का अंग फेल होने जैसी गंभीर समस्या भी हो सकती है। मेल टुडे के मुताबिक, राजधानी के करीब 40 प्रतिशत युवा इस दवाई का सेवन कर रहे हैं और उन्हें रोकने वाला कोई नहीं है।

रिपोर्ट में केवल दिल्ली नहीं बल्कि अन्य शहरों में इसकी पड़ताल की गई तो वहां के कई डाक्टर्स ने मेल टुडे को बताया कि उनके 10 में से 4 मरीज इन्ही दवाईयों के सेवन करने वाले है। जिनमें से कुछ को वह बचा भी नहीं सके। दिल्ली के एम्स अस्पताल में भर्ती 25 साल के युवा को कॉर्डिएक अरेस्ट हुआ था। एम्स के कार्डियोलॉजी प्रोफेसर डॉ. अम्बुज रॉय ने बताया, ‘उसकी बॉडी काफी मस्कुलर थी और वह नियमित रूप से जिम जाता था। उसने यह बात मानी की थी कि लंबे समय तक वर्कआउट करने और अतिरिक्त ताकत के लिए वह एएमपी का डोज लेता था।’

ऑल इंडिया बॉडी बिल्ड‍िंग ऐंड फिटनेस स्पोट्र्स फेडरेशन (उत्तर भारत) के महासचिव सुनील टांक ने कहा, ‘यह दवा ब्लैक मार्केट में धड़ल्ले से बिक रही है। मैं जिम जाने वाले कई लोगों को जानता हूं जो इसका इस्तेमाल करते हैं। इस दवा की बिक्री में काफी बढ़त हुई है। बॉडी बिल्ड‍िंग प्रतियोगिताओं के दौरान इनकी मांग बढ़ जाती है। यह इंसान की सेहत के लिए असुरक्ष‍ित है।’ सुनील टांक दक्ष‍िण दिल्ली में चलने वाले ब्लैक जिम के संस्थापक हैं। बता दें, 40 प्रतिशत से अधिक जो युवा इन दवाईयों की चपेट में हैं उनकी उम्र लगभग 20 से 30 के बीच है। युवाओं में आजकल मसल्स मैन बनने का क्रेज काफी तेजी से बढ़ा है।

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