MCD चुनावों में नहीं चली ‘झाड़ू’, इन 6 कारणों ने दी केजरीवाल को शिकस्त

आखिर 2 साल में ऐसा क्या हुआ कि आप का दिल्ली से सफाया हो गया।

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नई दिल्‍ली: दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए हुए मतदान के लिए मतगणना सुबह आठ बजे से जारी है. शुरुआती रुझान से बीजेपी ने जो बढ़त बनाई है वह अभी तक बरकरार है। अभी तक के रुझान साफ बता रहे हैं कि पार्टी निगम चुनाव में हैट्रिक मारने जा रही है। वहीं दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार को इस चुनाव से करारा झटका लगा  है।

दो साल पहले अरविंद केजरीवाल की जिस आम आदमी पार्टी ने दिल्ली में ऐतिहासिक और अभूतपूर्व जीत हासिल करके दिल्ली से कांग्रेस और बीजेपी का सफाया कर दिया था, आखिर 2 साल में ऐसा क्या हो गया कि खुद उसका ही सफाया हो गया। एमसीडी चुनावों में मोटे तौर पर आम आदमी पार्टी की हार के छ: प्रमुख कारणों पर एक नजर :

LGvsAAP:

आम आदमी पार्टी के दिल्ली की सत्ता में लौटने के 3 महीने बाद से ही मई 2015 से जो एलजी और केंद्र सरकार के साथ केजरीवाल सरकार की तनातनी और लड़ाई शुरू हुई उसने अरविंद केजरीवाल की छवि ‘बात बात पर लड़ने वाले’ की बना दी। आये दिन केंद्र सरकार और एलजी पर हमले करना और बात बात पर दोषारोपण करना आम आदमी पार्टी के ख़िलाफ गया।

मोदी विरोध:

विशेषज्ञों द्वारा अनुमान लगाया गया था कि देश की जनता ‘दिल्ली में केजरीवाल, देश में मोदी’ चाहती है और ऐसा हुआ भी लेकिन केजरीवाल ने जब से सत्ता संभाली है मोदी पर जमकर बरसे है। राजनीतिक हमले ऐसे हुए जो कही ना कही काफी निजी होते गए।जिससे दिल्ली के लोगों के मन में अरविंद केजरीवाल की छवि मोदी विरोधी की बन गई जो दिल्ली के लोग शायद नहीं चाहते थे।

पंजाब चुनाव में हार:

पंजाब चुनाव में पार्टी जहां अपनी जीत 100 फीसदी पक्की मान रही थी वहां वो मुख्य विपक्षी दल से आगे नही बढ़ पाई साथ ही वोट शेयर के मामले में वो तीसरे नंबर पर रही। इस नतीजे ने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं का मनोबल ऐसा तोड़ा कि वो इसके बाद तुरंत होने वाले नगर निगम चुनाव के लिए अपनी पूरी ताकत से खड़ी नहीं हो पाई।

EVM पर सवाल:

अरविंद केजरीवाल ने EVM पर तो सवाल उठाया ही साथ ही चुनाव आयोग पर भी बीजेपी के लिए काम करने का आरोप लगा दिया। इससे भी पार्टी की छवि पर असर और जनता के बीच संदेश गया कि जब दिल्ली में आम आदमी पार्टी ने 70 में से 67 सीट जीती तब तो अरविंद केजरीवाल ने कुछ नहीं कहा लेकिन जब वो पंजाब हारे और यूपी में बीजेपी ने 403 में से ऐतिहासिक 325 सीट जीती तब EVM से छेड़छाड़ बता दी केजरीवाल ने। शायद ये उसी का खामियाजा है जो आम सरकार को भुगतना पड़ रहा है।

पैसों की तंगी और कमजोर प्रचार नीति: आम आदमी पार्टी इन चुनावों में पैसों की तंगी से जूझती रही है। आलम ये रहा कि शहर में होर्डिंग के मामले में बीजेपी छाई रही, दूसरे नंबर पर कांग्रेस और सबसे कम होर्डिंग आम आदमी पार्टी के थे। रेडियो पर हमेशा से जमकर प्रचार करने वाले आप ने रेडियो पर प्रचार के आखिरी दिन जाकर एक विज्ञापन दिया। प्रचार कमज़ोर रहा। पार्टी ने अरविंद केजरीवाल की जनसभा भी मीडिया से कवर कराने में खास रुचि नही दिखाई। पूरे प्रचार के दौरान बीजेपी एजेंडा तय करके आप पर हमलावर रही और आप रक्षात्मक मुद्रा में रही।

आप मंत्रियों के विवादित बयान:

इसके अलावा अन्य कारणों की बात करें तो कई आप नेता विवादों मे भी छाए रहे जिसमें शराब पीकर भगवत मान, आपत्तिजनक सीडी मिलने के मामले में संदीप कुमार का नाम भी विवादों में छाया रहा। जिसने पार्टी की छवि धूमिल की है।

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