सुप्रीम कोर्ट में आज आएगा निर्भया मामले में दोषियों की फांसी पर फैसला

दिल्ली हाइकोर्ट ने दोषियों के खिलाफ मौत की सजा सुनाई थी.

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नई दिल्ली: देश के लोगों के लिए 16 दिसंबर 2012 का दिन भूल पाना अासान नहीं है। क्योंकि इसी दिन 23 साल की पैरा-मेडिकल की एक छात्रा के साथ दिल्ली में गैंगरेप हुआ था। सुप्रीम कोर्ट इस मामले में शुक्रवार की दोपहर तक फैसला सुना सकता है। इससे पहले दिल्ली हाइकोर्ट ने दोषियों के खिलाफ मौत की सजा सुनाई थी, जिसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है।

2013 में सुनाई गई थी फांसी की सजा

दिल्ली दुष्कर्म कांड में साकेत की फास्ट ट्रैक कोर्ट ने सितंबर 2013 में चारों दोषियों को फांसी की सजा सुनाई थी। जिस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 13 मार्च 2014 को मुहर लगा दी थी। दोषियों ने वकील एमएल शर्मा और एमएम कश्यप के जरिये सुप्रीम कोर्ट में अपील दाखिल की थी। हाई कोर्ट ने दोषियों की याचिका खारिज करते हुए कहा था कि उनका अपराध दुर्लभ से दुर्लभतम की श्रेणी में आता है।

हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दोषी सुप्रीम कोर्ट आये हैं। निर्भया कांड का एक आरोपी नाबालिग था, जिस पर जुविनाइल जस्टिस एक्ट के तहत जुविनाइल बोर्ड में मुकदमा चला। कानून के मुताबिक वह अपनी सजा पूरी कर छूट चुका है। हालांकि, नाबालिग के छूटने पर भी देश में लंबी बहस छिड़ी जिसके बाद कानून में संशोधन किया गया और जघन्य अपराध में आरोपी 16 से 18 वर्ष के बीच के किशोरों पर सामान्य अदालत में मुकदमा चलाने के दरवाजे खोले गए।

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निर्भया मामले में अब तक क्या हुआ:

16 दिसंबर, 2012: दिल्ली के मुनिरका में छह लोगों ने एक बस में पैरामेडिक छात्रा से सामूहिक बलात्कार किया. घटना के बाद युवती और उसके दोस्त को चलती बस से बाहर फेंक दिया गया।

18 दिसंबर, 2012: राम सिंह, मुकेश, विनय शर्मा और पवन गुप्ता को इस मामले में गिरफ़्तार किया गया। 21 दिसंबर को मामले में एक नाबालिग को दिल्ली से और छठे अभियुक्त अक्षय ठाकुर को बिहार से गिरफ़्तार किया गया।

29 दिसंबर, 2012: पीड़िता ने सिंगापुर के एक अस्पताल में दम तोड़ा।

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3 जनवरी, 2013: पुलिस ने पांच बालिग अभियुक्तों के ख़िलाफ़ हत्या, गैंगरेप, हत्या की कोशिश, अपहरण, डकैती आदि आरोपों के तहत चार्जशीट दाख़िल की।

17 जनवरी, 2013: फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने पांचों अभियुक्तों पर आरोप तय किए।

11 मार्च 2013: राम सिंह ने तिहाड़ जेल में आत्महत्या की।

31 अक्टूबर, 2013: जुवेनाइल बोर्ड ने नाबालिग को गैंगरेप और हत्या का दोषी माना और उसे प्रोबेशन होम में तीन साल गुज़ारने का फ़ैसला सुनाया।

10 सितंबर, 2013: फ़ास्ट ट्रैक अदालत ने चार अन्यों को 13 अपराधों के लिए दोषी ठहराया और 13 सितंबर को मुकेश, विनय, पवन और अक्षय को सज़ा-ए-मौत सुनाई गई।

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13 मार्च, 2014: दिल्ली हाई कोर्ट ने चारों दोषियों की मौत की सज़ा को बरक़रार रखा।

2014-2016: दोषियों ने फ़ांसी की सज़ा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है और शीर्ष अदालत फिलहाल इस पर सुनवाई कर रही है।

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