गुरू अर्जुनदेव जी महाराज के शहीदी दिहाड़े को समर्पित ठंडे मीठे जल की लगाई छबील

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– मीठे पानी का शर्बत ठंडक का प्रतीक है ताकि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को प्यासा न रखें
हनुमानगढ़। 
जंक्शन बस स्टेण्ड के पास शनिवार को गुरू अर्जुनदेव जी महाराज के शहीदी दिहाड़े को समर्पित ठण्डे व मीठे जल की छबील सिख संगत द्वारा लगाई गई। छबील की शुरूवात प्रातः 8 बजे प्लेकटंकोट एज्युकेशन के सदस्यों व समूह सिख संगत द्वारा क्षेत्र की सुख स्मृद्धि व खुशहाली की अरदास के साथ शुरू की गई। उक्त छबील में प्लेकटंकोट एज्युकेशन सहित एनआरआई सिख संगत का विशेष सहयोग रहा। दिनभर सेवादारों ने राहगीरों को शरबत पिलाकर सेवा की, ताकि इस गर्मी में कोई कंठ प्यासा ना रहे। छबील लगाने के पीछे मानना है कि जो यातना गुरु अर्जुन देव ने सहन की वैसी यातना किसी को भी न मिले। आयोजन समिति के सदस्य दयाल सिंह ने बताया कि सिखों के पांचवे गुरू अर्जुनदेव को धर्म परिवर्तन नहीं करने पर मुगलों ने गर्म रेत पर बैठाया था, फिर भी उन्होंने अपना धर्म नहीं छोड़ा और हिन्दू धर्म की रक्षा के लिए हंसते-हंसते शहीद हो गए थे। संस्थापक गुरबक्श सिंह ने बताया कि मीठे पानी का शर्बत ठंडक का प्रतीक है ताकि कोई भी व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को प्यासा न रखें। जब मुगल बादशाह जहांगीर ने गुरु अर्जुन देव जी को गर्म लोहे की कढ़ाई में बैठाकर उन पर गर्म रेत डलवाई तो वे बिल्कुल भी विचलित नहीं हुए और वाहेगुरु का सिमरन करते रहे। उन्हें पानी की बूंद तक के लिए तरसाया गया। उन दिनों जेठ का महीना था और गर्मी का दिन था। गुरु की सहनशीलता के आगे मुगल भी हार गए। तब से उनके शहीदी दिवस पर ठंडे पानी की छबील लगाई जाती है ताकि प्यास की वजह से किसी की आत्मा को कष्ट न हो। इस मौके पर सैकड़ों सेवादारों ने सुबह 8 बजे से दोपहर 3 बजे तक छबील पर सेवाएं दी।

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