Death Of Infants Dungarpur: राजस्थान के डूंगरपुर जिले में बीते 1 साल में 337 नवजात शिशुओं की मौत हो चुकी है। आदिवासी इलाकों में ये एक बड़ी समस्या है। सरकार ने इसको लेकर कई योजनाएं चलाईं हैं लेकिन योजनाएं यहां धूल खा रही है। पोषण केंद्रों के साथ-साथ अस्पतालों की भी बुरी हालत है। दरअसल, राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण के आंकड़े बताते हैं कि डूंगरपुर जिले में 15 – 49 वर्ष की 73% महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं।
डिस्ट्रिक्ट न्यूट्रीशन प्रोफाइल के अनुसार जिले की सवा चार लाख महिलाओं में से 3 लाख से ज्यादा महिलाएं एनीमिया की शिकार हैं। 1 लाख से ज्यादा महिलाएं अंडरवेट हैं। बच्चों में यह आंकड़ा और भी भयावह है। जब यह प्रोफाइल बना था तब 1 लाख 92 हजार बच्चों में से करीब 1 लाख 38 हजार बच्चे एनीमिया के शिकार थे। जिले में 93% महिलाएं ऐसी हैं जिन्होंने गर्भावस्था के 180 दिनों के दौरान आयरन की गोली नहीं ली।
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आंगनबाड़ी की कमी और अस्पताल में डॉक्टर नहीं
स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर सुधारने की नजदीकी इकाई आंगनबाड़ी केंद्र हैं। आंगनबाड़ी केंद्र का उद्देश्य होता है गर्भवती महिलाओं और बच्चों की देखभाल करना, लेकिन डूंगरपुर जिले के आंगनबाड़ी के आंकड़े बता रहे हैं कि अभी वहां बहुत काम होना बाकी है। डूंगरपुर जिले में 2117 आंगनबाड़ी केंद्र हैं। इनमें से 968 आंगनबाड़ी केंद्र के पास अपना भवन तक नहीं है। जो बाकी हैं, उनमें 212 आंगनबाड़ी केंद्र को मरम्मत की ज़रूरत है। इसके अलावा सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में एक भी डॉक्टर नहीं है। जिले में जूनियर स्पेशलिस्ट के 67 में से 65 पद खाली हैं। खंड मुख्य चिकित्सा अधिकारी के 10 में से 5 पद खाली हैं। यहां तक कि जिले के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी का पद भी रिक्त है।
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जानिए गजेंद्र सिंह खींवसर क्या बोले?
इन आकंड़ों के सामने आने के बाद राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर खुद इसे बड़ी चुनौती मानते हैं। उनका कहना है कि स्वास्थ्य विभाग गरीब महिलाओं के लिए मोबाइल वैन के इंतजाम की योजना बना रहा है। महिलाओं के खराब स्वास्थ्य और शिशुओं की मौत के पीछे शिक्षा की कमी और गरीबी भी एक बड़ी वजह मानी जा रही है। कई बार हालात ये हो जाते हैं कि मां या बच्चे में किसी एक की ही जान बचाई जा सकती है।
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