भारत में बड़ी तेजी के साथ फैल रहा है मौत का वायरस, नहीं है इससे बचने का कोई तरीका

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नई दिल्ली: केरल के कोझीकोड में निपाह वायरस से 16 लोगों की मौत हो गई है। ये खबर स्थानीय मीडिया ने दी है लेकिन सरकारी आकंड़ों में अभी तक सिर्फ 3 लोगों की पुष्ठि की है। इस बीच पुणे वायरोलॉजी इंस्टीट्यूट ने खून के तीन नमूना में निपाह वायरस होने की पुष्टि की है। केरल सरकार की गुहार पर एनसीडीसी की टीम केरल पहुंच गई है।

यह वायरस इसलिए बेहद खतरनाक माना जाता है क्‍योंकि अभी तक इसका कोई इलाज नहीं है और न ही इसका कोई वैक्‍सीनेशन अभी उपलब्‍ध है। 2018 में इसी कारण इसको विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन(WHO) की वायरसों की उस सूची में रखा गया है, जो मानव जाति के लिए स्‍वास्‍थ्‍य के लिहाज से बड़ा खतरा बन सकते हैं।

क्या है निपाह वायरस के लक्षण:
तेज बुखार, सिर में भयानक दर्द, सांस लेने में तकलीफ, मतिभ्रम होना, कोमा में जाना जैसे लक्षण इसके कारण होते हैं।

क्या होता निपाह वायरस:
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) के मुताबिक, निपाह वायरस चमगादड़ से फलों में और फलों से इंसानों और जानवरों पर आक्रमण करता है। 1998 में पहली बार मलेशिया के कांपुंग सुंगई निपाह में इसके मामले सामने आए थे। इसीलिए इसे निपाह वायरस नाम दिया गया। पहले इसका असर सुअरों में देखा गया।

बीमारी से बचने के उपाय-
इस बीमारी से बचने के लिए फलों, खासकर खजूर खाने से बचना चाहिए। पेड़ से गिरे फलों को नहीं खाना चाहिए। बीमार सुअर और दूसरे जानवरों से दूरी बनाए रखनी चाहिए। फिलहाल इसका ये ही एक उपाय बताया गया है।

कब कहां हुई थी ये बीमारी-
दो दशक पहले 1998 में मलेशिया के कामपुंग सुंगाई निपाह गांव के सुअरों में इस वायरस की पहली बार पहचान की गई। एक व्‍यक्ति की इस वायरस की चपेट में आने से मौत हो गई। इस कारण इसका नाम निपाह वायरस(Nipah Virus) पड़ गया। उसी दौरान यह संक्रामक बीमारी सिंगापुर में भी फैली। उसके बाद 2004 में बांग्‍लादेश में यह फैली और अब केरल में फैलनी की खबर है।

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