अमेरिकी अंतरिक्ष एजेंसी नासा (NASA) ने 2006 क्यूक्यू 23 (2006 QQ23) नाम के एक ऐसे एस्टेरॉयड (Asteroid) यानी उल्कापिंड का पता लगाया है जानकारी के मुताबिक ये 10 अगस्त को धरती से टकरा सकता है। वैज्ञानिक चिली स्थित दुनिया की सबसे बड़ी दूरबीन के जरिए इस पर नजर बनाए हुए हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि वे इसके खतरे को लेकर अपना अध्ययन जारी रखे हुए हैं। नासा नए सिरे से इसका आकार प्रकार को मापने में लगी हुई है।
नासा के सेंटर फॉर नीयर अर्थ आब्जेक्ट स्टडीज के मुताबिक, अगले महीने की 10 तारीख को यह धरती के बेहद करीब यानी 0.04977 एस्ट्रोनॉमिकल यूनिट्स की दूरी से गुजरेगा। इसके धरती से टकाने की आशंका 7000 में से एक के बराबर है बावजूद वैज्ञानिक इसके खतरे को कम करके नहीं देख रहे हैं। वैज्ञानिकों का कहना है कि यदि इतना बड़ा एस्टेरॉयड धरती से टकरा जाए तो एक देश को खत्म कर सकता है।
साल 2013 में टकराया था ऐसा ही एस्टेरॉयट
साल 2013 मेंच चेलियाबिंस्क में एक एस्टेरॉयट टकराया था जिसकी वजह से 66 फीट गड्ढा हो गया था। दक्षिणी यूराल क्षेत्र में हुए इस टकराव के कारण संपत्तियों को काफी नुकसान पहुंचा था और करीब 1500 लोग घायल हो गए थे। अब नए 2006 QQ23 एस्टेरॉयट को चेलियाबिंस्क में टकराए एस्टेरॉयड की तुलना में सात गुना ज्यादा बड़ा होने की आशंका जताई गई है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि सामान्य रूप से एस्टेरॉयड पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश करते वक्त उनका द्रव्यमान कम हो जाता है। खास बात यह है कि नासा जिस एस्टेरॉयड को ट्रैक करने की कोशिश कर रहा है। वैज्ञानिकों ने 21 अगस्त 2006 को पहली बार इस एस्टेरॉयड का पता लगाया था। तब भी इसके धरती से टकराने की आशंका जताई गई थी। वैज्ञानिकों ने तब लगातार 10 दिनों तक इस पर नजर रखी थी। यह धरती के काफी करीब आ गया था। लेकिन, इसके बाद यह उनकी नजरों से यह ओझल हो गया था। अब नासा के वैज्ञानिकों को यह एस्टेरॉयड दोबारा नजर आया है।
एस्टेरॉयट से तबाह हुए थे डायनासोर
चेलियाबिंस्क की घटना ही इतिहा के पन्नों में दर्ज नहीं बल्कि कहा जाता है कि 6.6 करोड़ साल पहले 10 किलोमीटर आकार का एक छुद्र ग्रह धरती से टकराया था जिसके कारण धरती से डायनासोर एवं अन्य दूसरी प्रजातियां विलुप्त हो गई थीं। साल 2012 में एक बस के आकार का एस्टेरॉयड धरती के काफी करीब से गोली से 10 गुना तेज रफ्तार से गुजर गया था जिससे वैज्ञानिक सन्न रह गए थे। अभी इसी महीने 19 जुलाई को ही 2019 एनजे2 (2019 NJ2) एस्टेरॉयड धरती के नजदीक से गुजरा था।
क्या होते एस्टेरॉयट
सौरमंडल में मंगल और बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें छोटे बड़े हजारों खगोलीय पिंड मौजूद हैं, जिन्हें एस्टेरॉयड के नाम से जाना जाता है। इस क्षेत्र को एस्टेरॉयड क्षेत्र के नाम से जानते हैं। इसकी खोज 1898 में जी विट ने की थी। छोटे आकार की वजह से इनको ग्रह नहीं कहा जाता है। इनमें एक खगोलीय पिंड तो 950 किलोमीटर के व्यास का भी है। एस्टेरॉयड सूर्य की परिक्रमा करते हैं। सौरमंडल में करीब एक लाख एस्टेरॉयड मौजूद हैं, जो अलग-अलग आकार के हैं। हिडाल्गो, हर्मेस, ऐरोस नामक क्षुद्रग्रह तो पृथ्वी से कुछ लाख किलोमीटर की ही दूरी पर हैं। ऐरोस एक छोटा क्षुद्रग्रह है जो कक्षा से भटक गया है तथा हर सात वर्षों के बाद पृथ्वी से 256 लाख किलोमीटर की दूरी पर आ जाता है।
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