जिला संवाददाता भीलवाड़ा। बिजौलिया क्षेत्र में इस समय गौवंश के हालात इस कदर बिगड़ रहे हैं कि उनकी सुनने वाला कोई नहीं है । एक और गौ – माताओं को प्राचीन समय में देवी देवताओं के समान मानकर पूजा अर्चना की जाती थी , उनको शुद्ध पानी पिलाया जाता था । घर में पहली बनाई हुई रोटी देकर पुण्य कमाया जाता था। लेकिन वर्तमान में उन्हीं गौ – माताओं की दशा देखकर लगता है कि इस कलयुग में जो गाय प्राचीन समय में पूजी जाती थी गौदान सर्वश्रेष्ठ एवं महत्वपूर्ण दान माना जाता था । आज गौवंश प्यास से तड़पते हुए गंदी नालियों के गंदे कीचड़ के पानी में मुंह मारते हैं और पानी पीने की कोशिश करते हैं लेकिन उन्हें वह गंदा पानी भी नसीब नहीं होता । गाय , बछड़े एवं सांड दिन – रात आंखों में आंसू भरकर पौष माह की पड़ने वाली शीतलहर एवं पाले के बीच में असहनीय पीड़ा झेल रहे हैं । ना उनको खाने के लिए चारे की व्यवस्था है , और ना रहने के लिए आवास की व्यवस्था है । गौवंश के मालिक भी गौवंश को जिम्मेदारी नहीं समझकर लावारिस छोड़ दिया करते हैं।जब कभी यह पशु किसी के खेत में जाकर चरने लगते हैं तो उन पर कहर ढाया जाता है । जानकारी के अनुसार तेजाजी चौक से पँचायत चोक तक गाय व सांडो विभिन्न प्रकार की चोट और यातनाएं सहन करते है । वही गौ – माता मुख्य बाजार में सड़कों के बीच पड़े हुए गंदे कचरे , प्लास्टिक की पन्नियों एवं चाय की पत्तियों को खाकर अपना जीवन यापन करते हैं , जिस कारण कुछ समय बाद वह मौत के गले लग जाते हैं । इस गौवंश को स्थाई आवास उपलब्ध करवाने के लिए कस्बे के विभिन्न हिन्दू सगठनो द्वारा आवाज उठाकर कई बार उपखंड अधिकारी व तहसील अधिकारी को ज्ञापन देकर गौशालाओं में इन बेजुबान गौवंशो को भिजवाने के लिए ज्ञापन दिया था । पिछले लाॅक-डाउन में भी हिन्दू संगठनों और गौवंश प्रेमियों ने इनकी सार-संभाल की थी। ग्रामीण बताते हैं कि गौवंश की सार-संभाल के लिए प्रशासन और जनता को मिलकर प्रयास करने होंगे तथा गौशालाओं की भरपूर मदद कर उन्हें सुदृढ़ बनाने के लिए कोशिश करनी होगी तभी गौवंश की तकलीफों को दूर किया जा सकता है।
ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुक, ट्विटर, इंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।