कोरोना की पहली नेजल वैक्सीन को मिली मंजूरी, 4 ड्रॉप्स होंगी कारगर, पढ़ें वैक्सीन के बारें सबकुछ

इंट्रानेजल वैक्सीन को प्राइमरी वैक्सीन के तौर पर दिया जाएगा। हालांकि, इसे कोवैक्सिन और कोविशील्ड जैसी वैक्सीन्स लेने वालों को बूस्टर डोज के तौर पर भी दिया जा सकता है।

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नई दिल्ली: देश की पहली नेजल वैक्सीन (Coronavirus Nasal Vaccine) को आपातकालीन इस्तेमाल के लिए मंजूरी मिल गई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत को कोरोना के खिलाफ पहली इंट्रानेजल वैक्सीन मिल गई है। इसे हैदराबाद की फार्मा कंपनी भारत बायोटेक ने बनाया है।  यह भारत का कोविड-19 वायरस के लिए पहला नाक से दिया जाने वाला टीका होगा।  वैक्सीन की खुराक 18 साल से ज्यादा के लोगों को दी जाएगी। इसके आखिरी फेज के ट्रायल पिछले महीने ही पूरे हुए हैं।

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने ट्वीट कर नेजल वैक्सीन को बड़ी उपलब्धि बताया है। उन्होंने कहा- वैक्सीन कोरोना महामारी से लड़ाई की ओर एक बड़ा कदम है। भारत ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में साइंस, रिसर्च एंड डेवलपमेंट और ह्यूमन रिसोर्स को बढ़ावा दिया है। साइंस पर आधारित अप्रोच और सबके प्रयास से हम कोरोना को जरूर हराएंगे।

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कैसे काम करती है नेजल वैक्सीन?
नेजल स्प्रे वैक्सीन को इंजेक्शन की बजाय नाक से दिया जाता है। यह नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार करती है। इसे ज्यादा कारगर इसलिए भी माना जाता है क्योंकि कोरोना समेत हवा से फैलने वाली अधिकांश बीमारियों के संक्रमण का रूट प्रमुख रूप से नाक ही होता है और उसके अंदरूनी हिस्सों में इम्युनिटी तैयार होने से ऐसे बीमारियों को रोकने में ज्यादा असरदार साबित होती है।

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नेजल वैक्सीन के फायदे

  • इंजेक्शन से छुटकारा
  • नाक के अंदरुनी हिस्सों में इम्यून तैयार होने से सांस से संक्रमण होने का खतरा घटेगा
  • इंजेक्शन से छुटकारा होने के कारण हेल्थवर्कर्स को ट्रेनिंग की जरूरत नहीं
  • बच्चों का टीकाकरण करना आसान होगा
  • उत्पादन आसान होने से दुनियाभर में डिमांड के अनुरूप उत्पादन और सप्लाई संभव

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अब तक 213.72 करोड़ वैक्सीन डोज लगीं
स्वास्थ्य मंत्रालय के डेटा के अनुसार, अब तक वैक्सीनेशन ड्राइव की शुरुआत से अब तक 213.72 करोड़ वैक्सीन डोज लगाई जा चुकी हैं। वहीं, 17 करोड़ से ज्यादा लोगों को बूस्टर डोज दी जा चुकी है। 12 से 14 साल की उम्र के 4.04 करोड़ बच्चों को भी वैक्सीन दी जा चुकी है।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, एलिजिबल लोगों में से केवल 12% लोगों ने ही बूस्टर डोज ली है। फ्रंटलाइन वर्कर्स, हेल्थकेयर वर्कर्स और 60 साल या उससे ज्यादा के 16.8 करोड़ लोग प्रिकॉशनरी डोज के लिए एलिजिबल हैं। इनमें से सिर्फ 35% को ही वैक्सीन की यह डोज लगी है।

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