दाई हलीमा हॉस्पिटल का विवाद गहराया

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संवाददाता भीलवाड़ा। दारुल उलूम और गुलअली दरगाह के बीच निर्माणाधीन दाई हलीमा मेटरनिटी एंड जनरल हॉस्पिटल के निर्माण पर कल गुरुवार को स्थानीय सिविल अदालत ने तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है, अस्पताल की योजना से लेकर निर्माण की शुरुआत तक विवादों में पड़े अस्पताल के ट्रस्टियों के गठन का मामला अब ओर गहराता जा रहा है ।
स्थानीय सिविल न्यायाधीश के समक्ष इस जमीन पर अपना हक जताने वाले मरहूम शमसुद्दीन शेख के वारिसान अलाउद्दीन, रईफुद्दीन, मोइनुद्दीन, निजामुद्दीन वगैरा ने 30 जून 20 को प्रकरण संख्या 48 दायर कर दाई हलीमा हॉस्पिटल के मुख्य ट्रस्टी मोहम्मद रफीक अंसारी अन्य ट्रस्टी अब्बास अली बोहरा, मोहम्मद असलम पठान, अरविंद मसीह, निशा खान पत्नी मोहम्मद रफीक सहित नगर परिषद आयुक्त और वक्फ बोर्ड को पार्टी बनाकर दावा किया कि वर्तमान में गुल अली बाबा की दरगाह से लेकर रजा दारुल उलूम कि उक्त समस्त जमीन और मौजूदा संपदा उनके पिता और दादा मरहूम शमसुद्दीन की है और वही इस संपदा के असली वारिसान मुत्तवली और दीवान है परंतु विपक्षी गण ने हम सलाह होकर गलत इरादतन उक्त जमीन पर अवैध ट्रस्ट बनाकर अवैध निर्माण शुरू कर दिया जिस पर तत्काल रोक लगाई जाना न्यायोचित होगा , अदालत ने कल गुरुवार 21 अक्टूबर 21 को दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद 14 पृष्ठों के फैसले में दाई हलीमा के निर्माण कार्य पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है अदालती स्टे के बाद दाई हलीमा हॉस्पिटल के ट्रस्ट और उसके निर्माण को लेकर कई तरह के सवाल खड़े हो गए हैं इधर हॉस्पिटल की योजना को बनाने से लेकर निर्माण की योजना को अंतिम रूप देने वाले स्थानीय दारुल उलुम के ट्रस्टियों में ही आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया दारुल उलूम के वर्तमान सदर निसार अहमद छिपा और सचिव जाकिर रंगरेज ने सोशल मीडिया पर अपना स्पष्टीकरण जारी कर कहा कि दारुल उलूम ने दाई हलीमा हॉस्पिटल के निर्माण की स्वीकृति दारुल उलुम कमेटी के अधीन चलाने और निर्माण करने के आधार पर दी परंतु कुछ लोगों ने हमसलाह होकर हॉस्पिटल का एक अलग ट्रस्ट बना लिया और उसमें अपने समर्थकों को ट्रस्टी बनाकर बिना आवाम की सहमति के ट्रस्ट को वक्फ बोर्ड के बजाय देवस्थान विभाग में रजिस्टर्ड करवा लिया इस विवाद पर छिड़ी जंग में दूसरी तरफ दाई हलीमा हॉस्पिटल ट्रस्ट ने इसी माह 12 अक्टूबर को सीरत सराय में मीटिंग कर एक चेतावनी जारी की जिसमें कहा गया था कि कुछ ट्रस्टी ही गलतफहमी पैदा कर कौम को गुमराह कर रहे हैं ऐसे ट्रस्टियों को अस्पताल ट्रस्ट के चेयरमैन रफीक अंसारी ने रवैया नहीं सुधारने पर बाहर का रास्ता दिखाने की चेतावनी दी थी, जिसके कारण आम मुसलमानों में रोष व्याप्त हो गया और ट्रस्टियों पर खुलकर गंभीर आरोप लगने लगे , इधर न्यायालय ने तमाम सबूत, गवाह, बयानों के आधार पर अंतिम फैसले तक हॉस्पिटल के तमाम निर्माण कार्य पर रोक लगाने का आदेश पारित किया है जिसके कारण हॉस्पिटल के वर्तमान ट्रस्ट को दारुल उलुम सहित आम मुसलमानों के विरोध का सामना करना पड़ रहा है

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