इन दो राज्यों में छिड़ी रसगुल्ले पर जंग, जानिए क्या है मामला

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चेन्नई: रसगुल्ले का जन्म पश्चिम बंगाल में हुआ था या ओडिशा में? दो साल से इस सवाल पर चल रहे विवाद का फिलहाल अंत हो गया है। नतीजा पश्चिम बंगाल के पक्ष में रहा। रसगुल्ले का जियोग्राफिकल इंडिकेशन यानी जीआई टैग बंगाल के नाम हो गया है। यानी अब ये बात आधिकारिक रूप से सिद्ध है कि रसगुल्ले का जन्म बंगाल में हुआ था। जीआई टैग किसी वस्तु या संपत्ति की भौगोलिक पहचान बताने वाला टैग है।

2015 में ओडिशा ने रसगुल्ले का जीआई टैग हासिल करने के लिए दावेदारी पेश की थी। उनका कहना था कि रसगुल्ले का जन्म उनके राज्य से हुआ है। बंगाल ने इस पर आपत्ति जताई और कहा कि रसगुल्ले का जन्म ओडिशा में नहीं, हमारे राज्य में हुआ। दोनों राज्यों ने अपनी-अपनी कमेटी बनाई और उसे रसगुल्ले का इतिहास खंगालने का काम सौंप दिया।

जीआई टैग का निर्धारण करने वाली चेन्नई स्थित कमेटी ने दोनों राज्यों के तर्क सुने और आखिर बंगाल के पक्ष में फैसला सुनाया। जीआई टैग मिलने से खुश प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ‘मीठी खबर’ बताया। बंगाल सरकार अब रसगुल्ले को इंटरनेशनल स्तर पर राज्य के फूड ब्रांड के रूप में पेश करेगी।

बंगाल का तर्क: 1868में कोलकाता के बागबाजार में नोबीन चंद्र दास हलवाई की दुकान थी। उन्होंने रोसोगुल्ला (रसगुल्ला) नाम की मिठाई तैयार की। एक बार सेठ रायबहादुर भगवानदास बागला कहीं जा रहे थे। उनके बेटे को प्यास लगी, तो नोबीन दास की दुकान पर रुककर पानी मांगा। नोबीन ने बच्चे को पानी और रसगुल्ला दिया। बच्चे को ये अच्छा लगा तो सेठ ने कई रसगुल्ले खरीद लिए। बस फिर ये मिठाई शहर भर में मशहूर हो गई।

दावा मंजूर: येतर्क सही है। बंगाल का रसगुल्ला पूरा सफेद और छोटा होता है। यही इसका सही आकार है। बंगाल को रसगुल्ले का जीआई टैग दिया जाता है।

ओडिशा का तर्क: हमारे यहां रसगुल्ला 13वीं सदी से है। पुरी से इसका इतिहास जुड़ा है। एक बार भगवान जगन्नाथ अपने घर पहुंचे, तो देवी लक्ष्मी ने उनसे रूठकर दरवाजा बंद कर दिया। देवी को मनाने के लिए भगवान ने उनके सामने खीर मोहन नाम का खाद्य पदार्थ पेश किया। खीर मोहन का मीठा स्वाद देवी को पसंद आया। तब उन्होंने दरवाजा खोला। वो खीर मोहन दरअसल रसगुल्ला ही था। इससे साबित होता है कि रसगुल्ला हमारे यहां से है।

दावा खारिज: खीरमोहन और रसगुल्ले में अंतर है। यह आकार में बड़ा होता है। सफेद नहीं, बल्कि कुछ पीले रंग का होता है। इसे रसगुल्ला नहीं मान सकते।

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