कांग्रेसजनों ने भारत रत्न डॉ. भीमराव अम्बेडकर को अर्पित की पुष्पांजलि

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हनुमानगढ़। भारत रत्न बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर सोमवार को टाउन स्थित डीसीसी कार्यालय में संगोष्ठी व श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किया गया। डीसीसी अध्यक्ष सुरेन्द्र दादरी की अध्यक्षता में आयोजित कार्यक्रम में मौजूद कांग्रेसजनों ने डॉ. अम्बेडकर की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। इस मौके पर डीसीसी अध्यक्ष सुरेन्द्र दादरी ने कहा कि डॉ. भीमराव अम्बेडकर ने न सिर्फ संविधान लिखा, बल्कि देश को न्याय, समानता और स्वाभिमान की राह दिखाई। उन्होंने सामाजिक भेदभाव के अंधकार को तोड़कर ज्ञान, संघर्ष और आत्मसम्मान की मशाल जलाई। बाबा साहेब सिर्फ संविधान निर्माता नहीं थे, वे सामाजिक क्रांति के प्रतीक थे। उनका सपना एक ऐसे भारत का था जहां इंसान को इंसान समझा जाए, जाति या वर्ग से नहीं तोला जाए। अपने पूरे जीवन में उन्होंने दलितों और हाशिए पर रहने वाले समूहों के अधिकारों के लिए जोरदार अभियान चलाया, इस प्रकार उनके प्रयासों ने भारत में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा दिया। दादरी ने विपक्ष पर हमला करते हुए कहा कि भाजपा और आरएसएस हमेशा दलित और अम्बेडकर विरोधी रही हैं। 17 दिसम्बर 2024 की वो तारीख जब देश की संसद में संविधान की चर्चा के दौरान गृह मंत्री अमित शाह ने सरेआम बाबा साहेब डॉ. भीमराव अम्बेडकर का अपमान किया।

इन लोगों की सोच दलित विरोधी है। ये वो लोग हैं जिन्होंने तुगलकाबाद में गुरु रविदास जी का मंदिर तोड़ा था। ये वो लोग हैं जिन्होंने राजस्थान में विपक्ष के नेता टीकाराम जूली के मंदिर में पूजा करने पर उस मंदिर को गंगा जल से साफ करवाया। इनकी सोच नहीं बदली है। 12 दिसम्बर 1949 के दिन आरएसएस के लोगों ने रामलीला मैदान में बाबा साहेब का पुतला फूंका था और 2024 के बाबा साहेब का संसद में अपमान किया। आरएसएस, जनसंघ, भाजपा जन्मजात बाबा साहेब अम्बेडकर के विरोधी रहे हैं। अब सिर्फ वोटों की राजनीति के लिए बाबा साहेब के नाम पर जगह-जगह कार्यक्रम कर रहे हैं। लेकिन जनता इनके झूठे झांसों में नहीं आने वाली। जिला प्रमुख कविता मेघवाल ने कहा कि डॉ. अम्बेडकर महिला अधिकारों के प्रबल समर्थक थे और उन्होंने उन हिन्दूगत कानूनों में सुधार लाने की दिशा में कार्य किया, जिनमें महिलाओं के साथ भेदभाव किया गया था। उन्होंने हिन्दू कोड बिल पेश किया, जिसका उद्देश्य विरासत, विवाह और तलाक के मामलों में महिलाओं को समान अधिकार प्रदान करना था। भारतीय राजनीति में डॉ. बीआर अम्बेडकर की सबसे स्थाई विरासत संविधान सभा की प्रारूप समिति के अध्यक्ष के रूप में उनकी भूमिका है, जो भारतीय संविधान की रूपरेखा तैयार करने के लिए जिम्मेदार थी। भारतीय संविधान के मुख्य शिल्पकार के रूप में, डॉ. बीआर अम्बेडकर ने सुनिश्चित किया कि दस्तावेज में न्याय, स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व के सिद्धांत निहित हों। अस्पृश्यता के उन्मूलन और कुछ पिछड़े वर्गांे के लिए आरक्षण जैसे प्रावधानों को शामिल करना जातिगत भेदभाव और असमानता के खतरों से मुक्त स्वतंत्र भारत के उनके दृष्टिकोण को दर्शाता है। आज हम जयंती पर बाबा साहेब को नमन करते हैं और यह संकल्प लेते हैं कि हर वर्ग को शिक्षा मिले। हर नागरिक को समान अधिकार मिले। हर मनुष्य को सम्मान से जीने का अवसर मिले। पीसीसी सदस्य भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि शिक्षा की परिवर्तनकारी क्षमता को समझते हुए, बाबा साहेब ने दलितों के उत्थान के लिए शिक्षा के महत्व पर बल दिया। उन्होंने कॉलेजों की स्थापना की और दलित समुदाय को जाति एवं सामाजिक असमानता की बेड़ियों को तोड़ने के साधन के रूप में उच्च शिक्षा प्राप्त करने के लिए प्रोत्साहित किया।

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