गौरव यात्रा के खर्च सहित इन बड़े मुद्दों पर सरकार को घेरेगी कांग्रेस, जानें

2 अप्रेल को एससी/एसटी एक्ट को लेकर हुई हिंसा पर दर्ज मुकदमों की वापसी और पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास की सुविधा के मुद्दे भी सदन में सरकार के लिए परेशानी खड़ी करेंगे।

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राजस्थान: चौदहवीं विधानसभा का 11वां सत्र बुधवार से शुरू हो रहा है। प्रदेश में इसी साल होने वाले विधानसभा चुनावों से पहले यह अंतिम विधानसभा सत्र होगा। प्रदेश की सियासत के लिए यह सत्र बेहद अहम होगा। कांग्रेस ने इस सत्र में भाजपा को घेरने की तैयारी कर ली है।

पिछले दिनों जयपुर में हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के लाभार्थी सम्मेलन और मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा मुख्य रूप से कांग्रेस के निशाने पर है। इसके अलावा 2 अप्रेल को एससी/एसटी एक्ट को लेकर हुई हिंसा पर दर्ज मुकदमों की वापसी और पूर्व मुख्यमंत्रियों को आजीवन आवास की सुविधा के मुद्दे भी सदन में सरकार के लिए परेशानी खड़ी करेंगे।

सवाल सूचीबद्ध, जवाब तैयार कर रहे विभागों की बढ़ी मुश्किलें
विधायक नंद किशोर महरिया ने तारांकित प्रश्न के जरिए सामान्य प्रशासन विभाग से प्रधानमंत्री की सभा में हुए खर्च और इसके लिए सरकार की ओर से जारी आदेश व परिपत्रों का पूरा ब्योरा मांगा है। विधानसभा ने इस सवाल को 6 सितंबर के लिए सूचीबद्ध कर दिया है। विभाग के लिए यह सवाल गले की हड्डी बन गया है क्योंकि कांग्रेस इसे चुनावी मुद्दा बना रही है। पीएम की सभा के बाद ही कांग्रेस ने यह आरोप लगाए थे कि इसके लिए सरकारी मशीनरी का दुरुपयोग किया गया और जनता के टैक्स के पैसे की बरबादी की गई।

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कर्जमाफी सबसे मजबूत हथियार
सरकार पूरी तैयारी के साथ सदन में मुकाबले के लिए उतरेगी। कांग्रेस के आरोपों को लेकर सरकार का सबसे बड़ा हथियार किसानों की कर्जमाफी होगी। इसके अलावा कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रही अंदरूनी खींचतान को भी भाजपा मुद्दा बनाकर यह मैसेज देने की कोशिश करेगी कि कांग्रेस का नेतृत्व भरोसेमंद नहीं।

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सरकारी आयोजनों के खर्चों पर भी मांगी जानकारी
कांग्रेसी विधायक रमेश मीणा ने वसुंधरा राजे की गौरव यात्रा में सरकारी खर्च का ब्योरा मांगा है। यह कार्यक्रम भाजपा का है लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि इसके लिए सरकारी पैसा खर्च किया जा रहा है। इनके अलावा कांग्रेस के घनश्याम मेहर और गोविंद सिंह डोटासरा ने भी सरकारी आयोजनों पर होने वाले खर्चों की जानकारी मांगी है।

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सवर्ण और ओबीसी वोटबैंक को भी साधेगी सरकार
सरकार सवर्ण और ओबीसी वोटबैंक को साधने की कोशिश करेगी। एससी/एसटी एक्ट पर कोर्ट के फैसले पर रोक लगाने के लिए केंद्रीय अध्यादेश के बाद सवर्ण और ओबीसी तबकों में पनप रही नाराजगी को देखते हुए सरकार सतर्क है। इस अंडर करेंट को थामने के लिए सरकार इन वर्गों को किसी न किसी तरीके से राहत देने की कोशिश करेगी। इसमें आर्थिक आधार पर आरक्षण का विधेयक या नौकरियों में टाइम बाउंड प्रमोशन जैसे विकल्पों को अपनाया जा सकता है।

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