भ्रष्टाचार के आरोपों पर शिकायत, गरीबों को हो रही परेशानियां

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हनुमानगढ। ग्राम पंचायत 22-23 एनडीआर के ग्रामीणों ने गुरूवार को जिला कलक्टर व मुख्य कार्यकारी अधिकारी जिला परिषद हनुमानगढ़ को ज्ञापन देकर सरपंच पति पर गंभीर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए गए हैं। ज्ञापन में ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि सरपंच पति गरीब और पिछड़े वर्ग के लोगों से पैसा वसूलता है। ग्राम पंचायत द्वारा मनरेगा योजना के तहत केटल शैड (पशु शेड) निर्माण स्वीकृत किए गए थे, लेकिन सरपंच पति ने बिना किसी ठोस कारण के इन शेडों का निर्माण रोक दिया और ग्रामीणों को धमकाते हुए निर्माण कार्य पर रोक लगाने के आदेश जारी किए। ग्राम पंचायत ने नोटिस जारी किया था जिसमें कहा गया कि कुछ व्यक्तियों के घर गांव के गुवाड़ में हैं और उनका पशु शेड निर्माण विवादित भूमि पर हो रहा है।

इसके बाद, पंचायत ने उक्त व्यक्तियों को आदेश दिया कि वे अपने पशु शेड को हटाकर स्थान खाली कर दें, अन्यथा पंचायत द्वारा उसे हटाया जाएगा। इस संदर्भ में गांव के गरीब किसानों और मजदूरों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा है। इसके अलावा, वर्ष 2024-25 में प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 21 आवास स्वीकृत किए गए थे, जिनमें से कई आवासों पर भी सरपंच पति ने विवाद उठाया और लोगों को धमकाया कि वे अपना आवास ना बनवाएं। सरपंच ने यह धमकी दी कि यदि लोग अपने आवास बनाएंगे तो उनके खिलाफ पुलिस में मुकदमा दर्ज करवा दिया जाएगा। ग्राम पंचायत द्वारा जिन 10 लोगों के पशु शेड और प्रधानमंत्री आवास पर विवादित भूमि का हवाला दिया गया, उनमें से कई लोग पहले से इन योजनाओं के तहत पट्टे प्राप्त कर चुके थे, लेकिन अब इन पर भी रोक लगा दी गई।

इन लोगों में से कुछ के प्रधानमंत्री आवास निर्माण पहले ही हो चुके थे, लेकिन सरपंच पति की कार्रवाई से उनका निर्माण कार्य रुक गया। इस मामले में यह आरोप भी लगाया जा रहा है कि सरपंच पति द्वारा इन गरीब लोगों से निर्माण कार्य जारी रखने के लिए 20,000 रुपये तक की मांग की जाती है। जिन लोगों ने यह रकम दी, उनके निर्माण कार्य को पूरा करने की अनुमति दी जाती है, जबकि जो लोग पैसे नहीं देते, उनके निर्माण कार्य को पंचायत की लेटरपेड से रोक दिया जाता है। आरोप है कि सरपंच पति ने गांव के गरीब लोगों को डरा धमका कर पैसा वसूला और उन्हें कड़ी परेशानियों में डाला। इस स्थिति को लेकर गांववाले भारी परेशान हैं, क्योंकि उन्हें प्रधानमंत्री आवास और पशु शेड के निर्माण के लिए बार-बार पंचायत के चक्कर लगाने पड़ते हैं और उन्हें यह धमकियां मिलती हैं कि उनका घर अतिक्रमण में है।

ग्रामीणों ने जिला कलक्टर से शिकायत की है और उनसे निष्पक्ष जांच की मांग की है। ग्रामीणों का कहना है कि जिन लोगों को पहले ही प्रधानमंत्री आवास और पट्टे मिल चुके थे, उनके घर अब विवादित कैसे हो सकते हैं। ग्रामीणों ने जिला कलक्टर से आग्रह किया है कि इस मामले में शीघ्र जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए ताकि गरीब लोगों को न्याय मिल सके और भविष्य में ऐसे भ्रष्टाचार को रोका जा सके। इस मौके पर रेवंतराम चौयल, रामकुमार गोदारा, देशराज, कुलदीप, अमरजीत, मखन सिंह, मीताराम, जीत सिंह, गुरमीत सिंह, पालाराम, गुरप्रीत, रंगाराम, राजेन्द्र, घुुकर सिंह, रेशम सिंह, वीरचंद, देशराज, किकर सिंह व अन्य ग्रामीण मौजूद थे।

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