दुनिया में शिशु मृत्यु के मामले में भारत अव्वल, UN ने बताएं तीन बड़े कारण

दुनिया में शिशु मृत्यु के सर्वाधिक आंकड़ें भारत के हैं, जिसके बाद नाइजीरिया का नंबर है। नाइजीरिया में एक साल में 4,66,000 शिशुओं की मृत्यु हुई। इसके बाद पाकिस्तान में 3,30,000 शिशुओं की मृत्यु हुई।

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संयुक्त राष्ट्र (यूएन) से जुड़ी एक संस्था अंतर एजेसी समूह (यूएनआईजीएमई) की एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में औसतन हर दो मिनट में तीन शिशु की मौत हो जाती है। इसके पीछे के कारणों में पानी, स्वच्छता, पौष्टिक भोजन या बुनियादी स्वास्थ्य सेवाओं की कमी है।

रिपोर्ट के अनुसार, दुनिया में शिशु मृत्यु के सर्वाधिक आंकड़ें भारत के हैं, जिसके बाद नाइजीरिया का नंबर है। नाइजीरिया में एक साल में 4,66,000 शिशुओं की मृत्यु हुई। इसके बाद पाकिस्तान में 3,30,000 शिशुओं की मृत्यु हुई। भारत में साल 2017 में 8,02,000 शिशुओं की मौत हुई थी और ये आंकड़ा पांच साल में सबसे कम है लेकिन दुनियाभर में यह आंकड़ा अब भी सबसे ज्यादा है।

विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के स्वास्थ्य प्रमुख डॉ. गगन गुप्ता ने कहा कि भारत, सरकार के नेतृत्व में शुरू किए गए कई योजनाओं के बाद काफी अच्छा सुधार देखने को मिला है। उन्होंने कहा, इस बात पर विचार करना होगा कि भारत में हर साल ढाई करोड़ बच्चे जन्म लेते हैं और शिशु मृत्यु के मामलों में कमी आई है और ये पिछले पांच सालों में सबसे कम है। ये भी पहली बार है कि पांच साल से कम उम्र के बच्चों की मृत्यु के मामलों की संख्या जन्म संख्या के समान है। अगला कदम शिशुओं की मृत्यु के मामले कम करने की दिशा में होगा।

रिपोर्ट के अनुसार, भारत में साल 2017 में 6,05,000 नवजात शिशुओं की मौत के मामले दर्ज किए गए, जबकि पांच से 14 साल आयु वर्ग के 1,52,000 बच्चों की मृत्यु हुई। यूनिसेफ, विश्व स्वास्थ्य संगठन, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या विभाग और विश्व बैंक समूह की ओर से जारी मृत्यु दर के नये अनुमानों के मुताबिक 2017 में 15 साल से कम आयु के 63 लाख बच्चों की मौत हो गयी जिनमें ज्यादातर की मौतों को रोका जा सकता था।

बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं से आई कमी
यूनिसेफ इंडिया की प्रतिनिधि यास्मीन अली हक ने कहा, अस्पतालों में प्रसव को प्रोत्साहन, नवजात शिशुओं के देखभाल के लिए सुविधाओं का विकास और टीकाकरण बेहतर होने से शिशु मृत्यु दर में कमी आयी है। शिशु मृत्यु दर 2016 में 8.67 लाख के मुकाबले कम होकर 2017 में 8.02 लाख हो गई। 2016 में भारत में शिशु मृत्यु दर 44 शिशु प्रति 1000 थी। अगर लैंगिक आधार पर शिशु मृत्यु दर की बात करें, तो 2017 में लड़कों में ये प्रति 1000 बच्चे पर 30 थी, जबकि लड़कियों में ये प्रति 1000 बच्चियों पर 40 थी।

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