गुरुवार रात ईडी द्वारा दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को गिरफ्तार कर लिया गया है। इस बीच दिल्ली की मंत्री आतिशी ने कहा कि केजरीवाल दिल्ली के सीएम बने रहेंगे। जेल से सरकार चलाएंगे। अब अगर आपके मन में ये सवाल आ रहा है कि क्या जेल से सरकार चलाई जा सकती है। तो इसका जवाब इस खबर में मिलेगा।
आप खबरों को बढ़ते हैं तो मालूम होगा कि बीते दिनों झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने ED की गिरफ्तारी से पहले अपना त्यागपत्र दे दिया था और उसके बाद गिरफ्तारी हुई थी। ये पहली बार नहीं है इससे पहले, चारा घोटाले में गिरफ्तारी से पहले लालू प्रसाद यादव ने भी इस्तीफा देकर अपनी पत्नी राबड़ी को सीएम बना दिया था। इसी तरह जयललिता ने भी गिरफ्तारी से पहले इस्तीफा दे दिया था। अरविंद केजरीवाल जेल जाने पर भी कानून के दायरे में सीएम बने रह सकते हैं, लेकिन जेल जाने के बावजूद त्यागपत्र नहीं देने से राज्य सरकार में संवैधानिक संकट हो सकता है।
इसे ऐसे समझिए, जब भी कोई कैदी के रूप में जेल में आता है, भले ही वो विचाराधीन कैदी क्यों न हो, उसके सारे विशेषाधिकार खत्म हो जाते हैं। इसमें मौलिक अधिकार शामिल नहीं हैं। मुख्यमंत्री हो या पार्षद जेल के अंदर सबके एक जैसे अधिकार होते हैं। रही बात मीटिंग की तो जेल से ऑनलाइन सुनवाई हो सकती है, लेकिन सरकार नहीं चलाई जा सकती।
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— AAP (@AamAadmiParty) March 21, 2024
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पद अयोग्य होने पर देना होगा इस्तीफा?
कानूनी सलाहकार के अनुसार, लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 में इस बात का कहीं उल्लेख नहीं है कि जेल जाने पर किसी जनप्रतिनिधि, मुख्यमंत्री या मंत्री को इस्तीफा देना पड़े। विधायक या सांसद जेल जाएं तो सरकारी कामकाज में बाधा नहीं पड़ती। मंत्रियों के जेल जाने पर भी उनके विभाग दूसरे मंत्रियों को दिए जा सकते हैं, लेकिन मद्रास हाईकोर्ट ने जेल जाने के बावजूद मंत्री पद से बर्खास्त नहीं करने पर राज्य सरकार की आलोचना की थी। इसके अलावा किसी के अयोग्य घोषित होने की तो लोक प्रतिनिधि अधिनियम 1951 की धारा 8(3) में इसके लिए नियम है।
.@ArvindKejriwal एक व्यक्ति नहीं एक विचार हैं।
आज से लड़ाई शुरू हुई है।
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— AAP (@AamAadmiParty) March 21, 2024
इसके अनुसार यदि किसी व्यक्ति या जनप्रतिनिधि को दो साल या उससे ज्यादा की सजा होती है तो वह पद के लिए अयोग्य हो जाता है। संविधान के अनुसार राज्य सरकार को केवल कैदियों की देखभाल और सुरक्षा का दायित्व है। कैदी कब तक जेल में रहेगा और बाहरी दुनिया के लिए क्या गतिविधियां कर सकता है ये अनुमति देना कोर्ट का अधिकार है। तो ऐसे में मुश्किल लग रहा है कि अरविंद केजरीवाल ज्यादा वक्त तक जेल से सरकार चला पाएंगे।
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क्या है पूरा मामला?
दिल्ली सरकार ने 17 नवंबर 2021 को शराब बिक्री से जुड़ी नई आबकारी नीति लागू की थी। इससे शराब दुकानें प्राइवेट हाथों में चली गईं। सरकार का दावा था कि इससे माफिया राज खत्म होगा और सरकार के रेवेन्यू में बढ़ोतरी होगी। जुलाई 2022 में दिल्ली के तत्कालीन मुख्य सचिव ने आबकारी नीति में आर्थिक गड़बड़ी को लेकर एक रिपोर्ट उपराज्यपाल वीके सक्सेना को सौंपी थी। मुख्य सचिव की रिपोर्ट के आधार पर उप-राज्यपाल ने CBI जांच की मांग की। 17 अगस्त 2022 को CBI ने केस दर्ज किया। इसमें मनीष सिसोदिया, 3 रिटायर्ड सरकारी अधिकारी, 9 बिजनेसमैन और 2 कंपनियों को आरोपी बनाया गया।
#WATCH | Delhi minister and AAP leader Atishi says, “We have put an application in the Supreme Court against the illegal arrest of Delhi CM Arvind Kejriwal. It will be mentioned in the Supreme Court tomorrow morning. We hope that the Supreme Court will protect democracy…” pic.twitter.com/hjhbEe9geF
— ANI (@ANI) March 21, 2024
विवाद बढ़ता देख 28 जुलाई 2022 को दिल्ली सरकार ने नई शराब नीति रद्द कर दी। 22 अगस्त 2022 को ED ने भी मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज कर लिया। 28 फरवरी 2023 को मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी हुई। 4 अक्टूबर 2023 को संजय सिंह को पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया।
इसी मामले में अरविंद केजरीवाल से पूछताछ की जानी है। आपको बता दें, गुरुवार शाम 7 बजे प्रवर्तन निदेशालय ने केजरीवाल को 10वां समन दिया। घर की तलाशी ली और फिर गिरफ्तार कर लिया। शराब नीति केस में केजरीवाल को इस साल 27 फरवरी, 26 फरवरी, 22 फरवरी, 2 फरवरी, 17 जनवरी, 3 जनवरी और 2023 में 21 दिसंबर और 2 नवंबर को समन भेज गया था। हालांकि वे एक बार भी पूछताछ के लिए नहीं गए।
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