मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना हुई हवा, क्वालिटी टेस्ट में ORS तक हुआ फेल

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जयपुर: मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत अस्पतालों में सप्लाई की जाने वाली दवाओं के एक के बाद एक अमानक पाए जाने से मरीजों की सेहत बिगड़ने का खतरा बढ़ रहा है। कोटा में डायबिटीज की दवा पानी में नहीं घुलने की गड़बड़ी का मामला सामने आने के बाद वर्ष-2018 में मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत फ्री बांटी जा रही दवाओं की क्वालिटी की हकीकत जानी गई जिसमें कुछ चौंकाने वाले खुलासे हुए।

दैनिक भास्कर के मुताबिक, जनवरी से अब तक बुखार की पैरासीटामोल, एंटीबायोटिक अमीकासिन इंजेक्शन, निसंतानता के इलाज की क्लोमीफीन टैबलेट, हीमोफीलिया की फेक्टर-8, लकवा की निओस्टीग्माइन, ओआरएस पाउडर, कैल्शियम एवं विटामिन की कमी को पूरा करने वाला ‘कैल्शियम एंड विटामिन-डी-3’ व पेट साफ करने की लिक्विड पैराफीन जैसी दवाएं जांच में फेल हो रही हैं।

ये ही नहीं सर्जिकल स्प्रिट व डॉक्टरों द्वारा उपयोग किए जाने वाले पाउडर वाले मेडिकल ग्लब्ज भी अच्छी क्वालिटी के नहीं हैं। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि दवा कंपनियां बड़े-बड़े दावे कर मरीजों के जीवन को खतरे में डाल रही हैं। डॉक्टरों के अनुसार एंटीबायोटिक अमीकासीन इंजेक्शन व निसंतानता इलाज की क्लोमीफीन दवाएं जीवनरक्षक मानी जाती है।

जांच में लगातार अमानक मिलने से न केवल राजस्थान मेडिकल सर्विसेज कॉर्पोरेशन लिमिटेड के क्वालिटी विभाग बल्कि क्वालिटी से जुड़े अधिकारियों की कार्यशैली पर प्रश्नचिंह लग गया है। उल्लेखनीय है कि 2 अक्टूबर -2011 को मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के शुरू होने के सात साल बाद भी क्वालिटी में सुधार नहीं हुआ है। अब तक 1700 से ज्यादा दवाओं के नमूने अमानक मिल चुके हैं।

वो प्रमुख दवाएं जो जांच में फेल हो गईं

दवा का नाम                   निर्माता कंपनी                  रिजेक्टिड दवाओं की मात्रा
पैरासीटामोल टैबलेट          नेस्टर फार्म्यूलेशन       2 करोड़ 7 लाख 7 हजार 550
अमीकासिन इंजेक्शन         स्कॉट आइडल            6 लाख 81 हजार 959
कैल्शियम एंड विटामिन-डी-3  दीप फार्मा       8 लाख 4 हजार 550
क्लोमीफीन टेबलेट             जी लेबोरेट्री                  3 लाख 12 हजार 791
मेडिकल ग्लब्ज           एनोनडिटा हैल्थकेयर           1 लाख 45 हजार 525
निओस्टीग्माइन इंजेक्शन    सेलोन लेबोरेट्री       7 लाख 30 हजार 29
सर्जिकल स्प्रिट                 कृष्णा फार्मा                      23 हजार 977
(जनवरी से अब तक अमानक पाए जाने पर रिजेक्ट दवाओं की मात्रा)

एक ही कंपनी , एक ही बैच नंबर के 26 नूमने जांच में फेल हो गए
हिमाचल प्रदेश की सनवेट हैल्थ केयर की कान में संक्रमण को रोकने वाली नियोमाइसिन पॉलिमिक्सिन बी-सल्फेट एंड हाइड्रो कोर्टिसन ईयर ड्राॅप के 26 नमूने फेल यानी अमानक मिले हैं। ईयर ड्राॅप में सफेद कण मिला और यह दवा मानकों के अनुरूप पारदर्शी भी नहीं थी। नेस्टर फार्मास्यूटिकल कंपनी के बुखार की दवा पैरासिटामोल टेबलेट (500 मिलीग्राम) के अलग-अलग बैच नंबर के 38 नमूने अमानक पाए गए हैं। इसके अलावा विनायक मेन्यूट्रेंड जयपुर का ब्लैक डिसइंफेक्टेंट (फेनिल), जी लैबोरेट्री का डेक्सामेथासोन इंजेक्शन, विवेक फार्मा जयपुर का पैरासीटामोल सिरप जांच में अमानक मिला है।

ये निकली योजना में कमियां-
-प्रदेश में 16 हजार 553 दवा वितरण केन्द्रों पर सिर्फ 3 हजार केन्द्रों पर पंजीकृत फार्मासिस्ट।
-उपलब्धता का मॉनिटरिंग सिस्टम फेल, लिखी जाने वाली पूरी दवा उपलब्ध नहीं।
-अस्पताल प्रशासन की ओर से स्थानीय स्तर पर दवाओं की खरीद महंगे दामों में करना।
-स्थानीय स्तर पर खरीदी जाने वाली दवाओं की गुणवत्ता की जांच नहीं।
-सर्जिकल कैप व मास्क की लंंबे समय से आरएमएससी की ओर से कंपनियों से रेट ऑफ कान्ट्रेक्ट नहीं।
-आवश्यक दवा सूची में कॉटन शामिल होने के बावजूद आज तक अस्पतालों में सप्लाई नहीं।

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