चद्रंयान-3 का हिस्सा नियंत्रण से बाहर, प्रशांत महासागर में गिर सकता है, ISRO ने दी चौंकाने वाली खबर

चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी।

0
494

Chandrayaan 3 News: चंद्रयान-3 के लॉन्च व्हीकल LVM3 M4 का एक हिस्सा नियंत्रण से बाहर हो गया है। यह पृथ्वी के वातावरण में फिर से प्रवेश कर गया है। इसकी जानकारी भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने बुधवार को दी। चंद्रयान-3 ने लॉन्च होने के 41वें दिन 23 अगस्त को चंद्रमा पर लैंडिंग की। इसी के साथ भारत चंद्रमा के साउथ पोल पर उतरने वाला पहला देश बन गया।

अनियंत्रित होने वाला हिस्सा लॉन्च व्हीकल का क्रायोजेनिक अपर स्टेज था, जिसने चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को तय कक्षा में स्थापित किया था। ISRO ने बताया- यही हिस्सा बुधवार 15 नवंबर की दोपहर 2:42 बजे पृथ्वी के वातावरण में दाखिल हुआ।

इसके अनियंत्रित होने की वजह अभी साफ नहीं हुई है। आशंका है कि यह उत्तर प्रशांत महासागर में गिरेगा। इसका फाइनल ग्राउंड ट्रैक भारत के ऊपर से होकर नहीं गुजरा। ISRO के बयान के मुताबिक चंद्रयान-3 को लॉन्च किए जाने के 124 दिन बाद NORAD id 57321 नाम की यह रॉकेट बॉडी पृथ्वी में री-एंटर हुई। चंद्रयान-3 के ऑर्बिट में स्थापित होने के बाद अपर स्टेज को निष्क्रिय (पैसिवेशन) करने की प्रक्रिया से भी गुजारा गया था।

ये भी पढ़ें: इसरो ने शुरु की Chandrayaan3 MahaQuiz जीतने वाले को मिलेगा एक लाख का इनाम

पैसिवेशन में रॉकेट में मौजूद प्रोपेलैंट और एनर्जी सोर्स को हटाया गया, ताकि अंतरिक्ष में विस्फोट के खतरे को कम किया जा सके। यह प्रक्रिया भी इंटर-एजेंसी स्पेस डेब्रिस कोऑर्डिनेशन एजेंसी (IADC) और यूनाइटेड नेशंस की गाइडलाइंस के तहत आती है।

क्या है चंद्रयान-3 मिशन
चंद्रयान-3 मिशन 14 दिनों का ही है। ऐसा इसलिए क्योंकि चंद्रमा पर 14 दिन तक रात और 14 दिन तक उजाला रहता है। रोवर-लैंडर सूर्य की रोशनी में तो पावर जनरेट कर सकते हैं, लेकिन रात होने पर पावर जनरेशन प्रोसेस रुक जाएगी। पावर जनरेशन नहीं होगा तो इलेक्ट्रॉनिक्स भयंकर ठंड को झेल नहीं पाएंगे और खराब हो जाएंगे। आइए जानते है अब तक चद्रंयान-3 ने चांद से क्या-क्या जानकारियां इसरो वैज्ञानिकों तक पहुंचायी।

ये भी पढ़ें: पाकिस्तान में पहली बार मना Hijra Festival, सड़कों पर उतरे ट्रांसजेंडर, जानें क्यों है इतना खास?



चंद्रयान-3 ने 14 दिन में दिए ये अपडेट्स

  1. ILSA पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप रिकॉर्ड किया : 31 अगस्त को ISRO ने बताया कि चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर पर लगे इंस्ट्रूमेंट ऑफ लूनर सीस्मिक एक्टिविटी (ILSA) पेलोड ने चंद्रमा की सतह पर भूकंप की प्राकृतिक घटना को रिकॉर्ड किया है। ये भूकंप 26 अगस्त काे आया था। इसरो ने बताया कि भूकंप के सोर्स की जांच जारी है।
  2. LIBS पेलोड ने चांद पर सल्फर की पुष्टि की : 28 अगस्त को भेजे दूसरे ऑब्जर्वेशन में चांद के साउथ पोल पर सल्फर, एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता चला है। सतह पर मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी हैं, हाइड्रोजन की खोज जारी है।

    ये भी पढ़ें: Chandrayan3: ‘प्रज्ञान’ के चांद पर उतरने के बाद क्या होगा, पेलोड में क्या है? जानें सबकुछ

  3. सतह पर प्लाज्मा मिला, लेकिन कम घना: लैंडर विक्रम पर लगे रेडियो एनाटॉमी ऑफ मून बाउंड हाइपरसेंसिटिव लोनोस्फियर एंड एटमॉस्फियर-लैंगम्यूर प्रोब (RAMBHA-LP) ने चांद के साउथ पोल पर प्लाज्मा खोजा है, हालांकि ये कम घना (विरल) है।

    ये भी पढ़ें: क्या है G20 summit, कितना होगा भारत को इससे फायदा, तमाम सवालों के जवाब बस क्लिक पर… 

  4. विक्रम लैंडर का पहला ऑब्जर्वेशन- सतह पर करीब 50 डिग्री तापमान: चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे (ChaSTE) पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा है। ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है।


हमारे साथ व्हाट्सऐप पर जुड़ने के लिए क्लिक करें (We’re now on WhatsApp, Click to join)


ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैंऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।