चांद की सतह पर ड्रिलिंग करता दिखा लैंडर, प्रज्ञान ने भेजी सबसे महत्वपूर्ण 2 जानकारियां

चांद की मिट्टी में मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी मौजूद हैं, जबकि हाइड्रोजन की खोज जारी है। यानी अब तक कुल 9 एलिमेंट चांद की मिट्टी में मिले हैं।

0
489

चंद्रयान-3 (chandrayaan-3) के प्रज्ञान रोवर ने आज सुबह विक्रम लैंडर की एक तस्वीर क्लिक की। रोवर पर 2 नेविगेशन कैमरे लगे हैं जिससे ये फोटो क्लिक की गई है। इसमें विक्रम लैंडर पर लगा पेलोड ‘चास्टे’ सतह पर ड्रिंलिंग करता दिख रहा है। ये पेलोड सतह और गहराई में तापमान मापता है।

इससे पहले 27 अगस्त को चंद्रयान-3 के विक्रम लैंडर में लगे चास्टे पेलोड ने चंद्रमा के तापमान से जुड़ा पहला ऑब्जर्वेशन भेजा था। ChaSTE यानी चंद्र सरफेस थर्मोफिजिकल एक्सपेरिमेंट के मुताबिक, चंद्रमा की सतह और अलग-अलग गहराई पर तापमान में काफी अंतर है।

चंद्रमा के साउथ पोल की सतह पर तापमान करीब 50 डिग्री सेल्सियस है। वहीं, 80mm की गहराई में माइनस 10°C टेम्परेचर रिकॉर्ड किया गया। चास्टे में 10 टेम्परेचर सेंसर लगे हैं, जो 10cm यानी 100mm की गहराई तक पहुंच सकते हैं।

ये भी पढ़ें: Chandrayan3: ‘प्रज्ञान’ के चांद पर उतरने के बाद क्या होगा, पेलोड में क्या है? जानें सबकुछ

चंद्रयान -3 ने किया दूसरा ऑब्जर्वेशन 
चांद पर पहुंचने के छठे दिन (29 अगस्त) को चंद्रयान ने दूसरा ऑब्जर्वेशन भेजा था। इसके मुताबिक चांद के साउथ पोल पर सल्फर की मौजूदगी है। चंद्रमा की सरफेस पर एल्युमीनियम, कैल्शियम, आयरन, क्रोमियम, टाइटेनियम की मौजूदगी का भी पता चला है।

ये भी पढ़ें: जानें क्यों VIRAL है 13.8 अरब साल पहले के ब्रह्मांड की ये टिमटिमाती तस्वीर, VIDEO भी देखें

इसके अलावा चांद की मिट्टी में मैगनीज, सिलिकॉन और ऑक्सीजन भी मौजूद हैं, जबकि हाइड्रोजन की खोज जारी है। यानी अब तक कुल 9 एलिमेंट चांद की मिट्टी में मिले हैं। प्रज्ञान रोवर पर लगे LIBS यानी लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप पेलोड ने ये ऑब्जरवेशन भेजे हैं। इससे पहले नासा ने भी चंद्रमा की मट्टी में ऑक्सीजन का पता लगाया था। इसलिए इसरो को पहले से ही यहां ऑक्सीजन मिलने की संभावना थी। हालांकि चांद की मिट्टी पर मिली ऑक्सीजन उस फॉर्म में नहीं है कि सीधे सांस ली जा सके। ये ऑक्साइड फॉर्म में है।

क्या है ऑक्साइड फॉर्म?
ऑक्साइड एक केमिकल कंपाउंड की कैटेगरी है। इसकी संरचना में एलिमेंट के साथ एक या ज्यादा ऑक्सीजन एटम होते हैं। जैसे कि Li2O, CO2, H2O, आदि। H2O यानी पानी होता है। इसीलिए इसरो ऑक्सीजन मिलने के बाद अब H यानी हाइड्रोजन की खोज कर रहा है।

ये भी पढ़ें: Aditya-L1 सोलर मिशन की लॉन्चिंग 2 सितंबर को, तस्वीरों में देखें कैसे काम करेगा पूरा मिशन

चद्रंयान-3 ने कैसे किया प्रयोग
इस प्रयोग में सैंपल सरफेस यानी चांद की मिट्टी या पत्थर पर हाई-फोक्स्ड लेजर का इस्तेमाल किया जाता है। सरफेस के गरम होने से प्लाज्मा बनता है। इसी से बने स्पेक्ट्रम की स्टडी कर एलिमेंट का पता लगाया जाता है। अलग-अलग एलिमेंट के अलग-अलग स्पेक्ट्रम होते हैं।


चांद से डाटा कैसे पहुंच रहा वैज्ञानिकों तक
चंद्रयान-3 मिशन के तीन हिस्से हैं। प्रोपल्शन मॉड्यूल, लैंडर और रोवर। इन पर कुल 7 पेलोड लगे हैं। एक पेलोड, जिसका नाम शेप है, वह चंद्रयान-3 के प्रोपल्शन मॉड्यूल पर लगा है। ये चंद्रमा की कक्षा में चक्कर लगाकर धरती से आने वाले रेडिएशन की जांच कर रहा है।

ये भी पढ़ें: दिल थाम लीजिए…सफल लैडिंग के बाद, भारत को अरबों का बिजनेस देगा चंद्रयान जानें क्या है मून इकॉनोमी

वहीं, लैंडर पर तीन पेलोड लगे हैं। रंभा, चास्टे और इल्सा। प्रज्ञान पर दो पेलोड हैं। एक इंस्ट्रूमेंट अमेरिकी स्पेस एजेंसी नासा का भी है, जिसका नाम है लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर अरे। ये चंद्रयान-3 के लैंडर पर लगा हुआ है। ये चंद्रमा से पृथ्वी की दूरी मापने के काम आता है।

आपको बता दें, चंद्रयान-3 का लैंडर 23 अगस्त को शाम 6 बजकर 4 मिनट पर चंद्रमा पर उतरा था। इसके बाद रोवर बाहर आया था।

ताजा अपडेट्स के लिए आप पञ्चदूत मोबाइल ऐप डाउनलोड कर सकते हैं, ऐप को इंस्टॉल करने के लिए यहां क्लिक करें.. इसके अलावा आप हमें फेसबुकट्विटरइंस्ट्राग्राम और यूट्यूब चैनल पर फॉलो कर सकते हैं।