गुजरात-राजस्थान में ‘चांदीपुरा वायरस’ की एंट्री, बच्चों के लिए बना जानलेवा, जानें लक्षण

चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, कीट-पतंगों द्वारा फैलता है।

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कोरोना के खौफ के बाद एक मिस्ट्री वायरस की भारत में एंट्री हो गई है। गुजरात और राजस्थान में ‘चांदीपुरा’ (chandipura virus) नामक एक वायरस ने दस्तक दे दी है। इसे मिस्‍ट्री वायरस कहा जा रहा है। दावा क‍िया जा रहा क‍ि इसकी चपेट में आकर 2 दिन के भीतर पांच बच्चों की मौत हो गई है। 4 बच्चों की मौत साबरकांठा सिविल अस्पताल में हुई है।

वहीं उदयपुर के दो बच्चों में वायरस के लक्षण मिले थे। दोनों का इलाज गुजरात में चल रहा था। तीन साल के एक बच्चे की 27 जून को मौत हो गई,  फिलहाल बच्चों के सैंपल जांच के लिए पुणे भेजे गए हैं। डॉक्‍टरों के मुताबिक ‘चांदीपुरा’ वायरस से संक्रमित बच्चों के मस्तिष्क में सूजन समेत कई अन्य लक्षण देखने को मिल रहे हैं।

चांदीपुर वायरस के कारण मस्तिष्क में सूजन
चांदीपुरा वायरस के संक्रमण के दौरान शरीर के माइक्रोगियल सेल्स में माइक्रो RNA-21 की संख्या बढ़ने लगती है। इससे कोशिकाओं में फोस्फेटेस और टेनसिन होमलोग (PTEN) पदार्थ का सिक्रिशन कम हो जाता है। इससे इंसानों की माइक्रोग्लियल कोशिकाओं में न्यूक्लियर फैक्टर कापा लाइट-चैन-एनहांसर ऑफ एक्टिवेटिड बी सेल्स (NF कप्पा BP65) या साइटोकाइन्स की सक्रियता बढ़ जाती है। इससे मस्तिष्क में सूजन हो जाती है।

इससे तेज बुखार, उल्टी, ऐंठन और कई मानसिक बीमारियां आ जाती हैं। इसके कारण मरीजों में इंसेफेलाइटिस के लक्षण भी दिखने लगते हैं और मरीज कोमा में चला जाता है। कई बार तो मौत तक हो जाती है। इन लक्षणों को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) की कैटेगरी में रखा गया है।

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चांदीपुर वायरस किससे फैलता है?
साल 1966 में महाराष्ट्र के नागपुर स्थित चांदीपुरा गांव में चांदीपुरा वायरस की पहचान हुई थी। इसके बाद इस वायरस को वर्ष 2004-06 और 2019 में आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात में रिपोर्ट किया गया था। चांदीपुरा वायरस एक RNA वायरस है। यह वायरस सबसे अधिक मादा फ्लेबोटोमाइन मक्खी से ही फैलता है।

मच्छर में एडीज ही इसके पीछे ज्यादातर जिम्मेदार है। 15 साल से कम उम्र के बच्चे सबसे ज्यादा इसका शिकार होते हैं। उन्हीं में मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा रहती है। चांदीपुरा के इलाज के लिए आज तक कोई एंटी वायरल दवा नहीं बनी है। इस मैकेनिज्म में य​दि दवा या वैक्सीन ईजाद की जाए तो चांदीपुरा वायरस फैलाने वाले रोग सोर्सेज पर कंट्रोल रखा जा सकता है।

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चांदीपुर वायरस के लक्षण
चांदीपुरा वायरस से बुखार होता है, जिसके लक्षण फ्लू जैसे होते हैं। इससे मस्तिष्क में सूजन आ जाती है। यह वायरस मच्छरों, मक्खियों, कीट-पतंगों द्वारा फैलता है। चांदीपुरा वायरस के लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, दस्त, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी शामिल हैं। गंभीर मामलों में, यह वायरस मस्तिष्क में सूजन (एन्सेफलाइटिस) पैदा कर सकता है, जो जानलेवा हो सकता है।

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चांदीपुर वायरस के बचाव
चांदीपुरा वायरस से बचाव के लिए सबसे अच्छा तरीका है कि मच्छरों से बचाव के लिए एहतियाती उपाय अपनाए जाएं। इसमें मच्छरदानी का इस्तेमाल करना, मच्छर भगाने वाली क्रीम लगाना और घरों के आसपास जमा पानी को हटाना शामिल है। इसके अलावा खुद को साफ सुथरा रखना जरूरी है। साथ-साथ ही मक्खियों और कीट से भी सावधानी बनाकर रखनी है।

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