पंजाब: देश में कोई बीमारी किस तरह धीरे-धीरे महामारी का रूप ले लेती है इसका अंदाजा आप खुद लगा सकते हैं। बीमारियों का महामारी बनने का जिक्र हमनें यहां इसलिए किया क्योंकि देश में सर्वाइकल कैंसर बड़ी तेजी के साथ फैल रहा है। जी हां शायद आप इस बीमारी का नाम भी पहली बार सुनन रहे हैं। इस कैंसर के कुल 13% मामले केवल पंजाब से ही। एक रिपोर्ट के अनुसार, सर्वाइकल कैंसर हर साल लगभग 67,677 महिलाओं को अपना शिकार बना रहा है। पंजाब की बात केवल यहां इसलिए की जा रही है क्योंकि यहां ये बीमारी बड़ी तेजी के साथ फैल रही है। अकेले पंजाब में यह आंकड़ा हजारों में है।
डॉक्टरों के अनुसार, यह कैंसर हर घंटे लगभग 8 महिलाओं की जान ले रहा है। इस रोग के भयानक रूप धारण करने का कारण जागरूकता का अभाव और निर्धारित समय पर टीकाकरण न करवाना है। दैनिक ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक, सर्वाइकल कैंसर का संक्रमण पुरुषों के जरिए महिलाओं में शारीरिक संबंध बनाते समय होता है। यह रोग अमूमन 30 वर्ष की आयु से अधिक की महिलाओं को अपना शिकार बनाता है। हालांकि यह संक्रमण 16 से 20 वर्ष की आयु में महिलाओं में सक्रिय हो जाता है।
दुनिया के 135 देशों ने इस कैंसर की रोकथाम के लिए एचवीपी टीकाकरण को स्वीकृति दी है और 84 देशों ने इसे राष्ट्रीय प्रतिरक्षा कार्यक्रम में शामिल किया है। खबर के अनुसार पंजाब में अब तक 10000 से अधिक लड़कियों को इस वैक्सिन के इंजेक्शन लगाए गए हैं। ताकि उन्हें इस जानलेवा बीमारी से बचाया जा सकें। इस कैंसर से बचने के लिए जरूरी है कि लोग नौ साल से 14 वर्ष की लड़कियों को यह टीका लगवाएं।
सर्वाइकल कैंसर के कारण-
-समय से पहले पीरियडस आना
-किशोरावस्था में गर्भवती होना
-कई लोगों के साथ शारीरिक संबंध
-सेक्स पार्टनर के दूसरे लोगों से शारीरिक संबंध होना।
सर्वाइकल कैंसर के लक्षण
-मीनोपॉज (सही उम्र पर पीरियड बंद होना) के बाद जननांग से ब्लड निकलना।
-जननांग से असाधारण रूप से पानी का बहना।
-कमर की हड्डी का दर्द या संबंध बनाते समय दर्द। असमय माहवारी और ज्यादा होना।
पेट के निचले हिस्से में दर्द होना।
तीन साल बाद पेपस्मियर सेटोलॉजी का करवाएं टेस्ट-
चिकित्सा विशेषज्ञों के अनुसार, इस रोग के फैलने के लिए ह्यूमन पैपीलोमा नामक वायरस मुख्य कारण हे। यह मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंधों से होता है। गर्भाशय में मौजूद यह वायरस कुछ समय बाद कैंसर बन जाता है। इस कैंसर से बचने के लिए स्क्रीनिंग और वैक्सीनेशन ही एकमात्र उपाय है। इसलिए हर महिला को तीन साल बाद पेपस्मियर सेटोलॉजी का टेस्ट जरूर करवाना चाहिए ताकि जल्द जल्द इस कैंसर का पता लगाया जा सके। बच्चे पैदा करने की उम्र में खास कर 30 से 40 साल के बीच इस बीमारी के होने के संभावना काफी बढ़ जाते है। इसलिए अगर किशोरावस्था में महिलाओं को वैक्सीनेशन दे दी जाए तो बीमारी को रोका जा सकता है।
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