नई दिल्ली: रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने मौद्रिक समीक्षा नीति की बैठ में बताया कि बचत खाते से कैश निकालने की सीमा दो चरणों में धीरे-धीरे खत्म कर दी जाएगी। उन्होंने बताया कि 20 फरवरी से कैश निकासी की सीमा को हफ्ते में 24 हजार रुपये से बढ़ाकर 50 हजार रुपये कर दिया। वहीं 13 मार्च के बाच नकद निकासी पर लगी यह सीमा पूरी तरह खत्म कर दी जाएगी।
रिजर्व बैंक ने बताया कि 27 जनवरी तक कुल 9.92 लाख करोड़ रुपये मूल्य के 500 और 2,000 रुपये के नोट सर्कुलेशन में आ गए थे। नई मौद्रिक नीति की घोषणा के दौरान आरबीआई के डेप्युटी गवर्नर ने बताया कि 2,000 रुपये और 500 रुपये, दोनों नोटों की नकल करना बहुत ही मुश्किल है। उन्होंने कहा कि एक बार जो नकली नोट पकड़े गए थे, वो नए नोटों की फोटो कॉपी थीं।
गौरतलब है कि पिछले साल 8 नवंबर को नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार ने दो अलग-अलग बार बैंकों से कैश निकालने की सीमा में इजाफा कर दिया था। पहले नकदी निकाले जाने की यह सीमा 10,000 रुपये थी जिसे बढ़ाकर 24,000 रुपये किया गया था। 16 जनवरी को आरबीआई ने नगदी निकासी की रोजाना सीमा 4500 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये की थी।
इन कारणों से रिजर्व बैंक ने टाला ब्याज दरों में कटौती का फैसला
इन कारणों से रिजर्व बैंक ने टाला ब्याज दरों में कटौती का फैसला
- अंतरराष्ट्रीय बाजार में क्रूड ऑयल की मजबूत होती कीमत, जनवरी 2014 में कच्चे तेल की कीमतें 100 डॉलर प्रति बैरल के स्तर से गिरकर जनवरी 2016 तक 30 डॉलर प्रति बैरल के नीचे पहुंच गई थी। एक बार फिर क्रूड ऑयल 53-55 डॉलर प्रति बैरल के स्तर पर मजबूत हो रहा है जो कि भारत समेत दुनिया के लिए परेशानी का संकेत है।
- क्रूड ऑयल की कीमतों में इजाफे के साथ ही वैश्विक स्तर पर मेटल और मिनरल की कीमतों में इजाफा होने की संभावना है। इन कीमतों में इजाफे से महंगाई बढ़ने का खतरा है।
- अमेरिका की मौद्रिक नीति का 9 साल के बाद सामान्य होना। दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्य़वस्था अमेरिका मंद 2008 से 2015 तक लगातार शून्य ब्याज दर रहने और अमेरिकी सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था में 12 ड्रिलियन डॉलर का राहत निवेश करने के चलते विदेशी निवेशक अमेरिका से बाहर रहे। अब एक बार फिर अमेरिका में ब्याज दर बढ़ना शुरू हुआ है।
- नोटबंदी लागू होने के बाद रीटेल महंगाई नवंबर में 2.59 फीसदी के स्तर से गिरकर 2.23 फीसदी पर दिसंबर में पहुंच गई। यह नोटबंदी से हुआ लेकिन अगले कुछ महीनों में नई करेंसी का पूरा संचार हो जाने के बाद एक बार फिर महंगाई दस्तक दे सकती है।
- रिजर्व बैंक ने जनवरी 2015 के बाद से रेपो रेट में 175 बेसिस प्वाइंट की कटौती की है। लेकिन इस कटौती के बावजूद बैंकों ने अपने ब्याज दरों को इसकी तुलना में कम करने का फैसला नहीं लिया है। लिहाजा, रेपो रेट में एक और कटौती से पहले भी बैंकों के पास अपने ब्याज दरों में कटौती करने की पूरी संभावना है।