इकोनॉमिक सर्वे 2025 की 6 बड़ी बातें, जो बजट से पहले आपको जाननी चाहिए?

इकोनॉमिक सर्वे इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है।

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वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आज यानी 31 जनवरी को इकोनॉमिक सर्वे (Economic Survey) पेश किया। डिपार्टमेंट ऑफ इकोनॉमिक अफेयर्स इसे तैयार करता है। इसके अनुसार FY26 यानी, 1 अप्रैल 2025 से 31 मार्च 2026 के दौरान GDP ग्रोथ 6.3% से 6.8% रहने का अनुमान है। वहीं रिटेल महंगाई अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई।

भारत का पहला इकोनॉमिक सर्वे 1950-51 में केंद्रीय बजट के एक भाग के रूप में पेश किया गया था। हालांकि, 1964 के बाद से, सर्वे को केंद्रीय बजट से अलग कर दिया गया। तब से, बजट पेश करने से ठीक एक दिन पहले इकोनॉमिक सर्वे जारी किया जाता है।

इसमें देश की GDP का अनुमान और महंगाई समेत कई जानकारियां होती है। इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है। चलिए जानते हैं आज के इकोनॉमिक सर्वे में क्या कुछ खास रहा..

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क्या होता है इकोनॉमिक सर्वे?
ठीक हमारे घर की डायरी की तरह ही होता है इकोनॉमिक सर्वे। साल खत्म होने के बाद जब हम देखते हैं तो पता चलता है कि हमारा घर कैसा चला? हमने कहां खर्च किया? कितना कमाया? कितना बचाया? इसके आधार पर फिर हम तय करते हैं कि हमें आने वाले साल में किस तरह खर्च करना है?

इकोनॉमिक सर्वे इससे पता चलता है कि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की हालत कैसी है? इकोनॉमिक सर्वे में बीते साल का हिसाब-किताब और आने वाले साल के लिए सुझाव, चुनौतियां और समाधान का जिक्र रहता है। इकोनॉमिक सर्वे को बजट से एक दिन पहले पेश किया जाता है।

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इकोनॉमिक सर्वे 2025-2026 की 6 मुख्य बातें

  • 2025-2026 में इकोनॉमी 6.3% से 6.8% की रफ्तार से बढ़ने का अनुमान है। सर्वे में कहा गया है कि 2047 तक भारत को विकसित भारत बनाने के लिए अगले एक से दो दशक तक 8% के दर से आर्थिक विकास करना होगा।
  • 2023-2024 में रिटेल महंगाई 5.4% थी, जो अप्रैल-दिसंबर 2024 में 4.9% हो गई। चौथी तिमाही में महंगाई में कमी की उम्मीद है। खराब मौसम, कम उपज के चलते सप्लाई चेन में बाधा आने से खाने-पीने की महंगाई बढ़ी।
  • सर्वे में कहा गया है कि लेबर मार्केट के हालात 7 साल में बेहतर हुए है। FY24 में बेरोजगारी दर गिरकर 3.2% पर आई। वहीं EPFO में नेट पेरोल पिछले 6 साल में दोगुना हुआ जो संगठित क्षेत्र में रोजगार का अच्छा संकेत है।
  • एआई का तेजी से हो रहा विकास न केवल ग्लोबल लेबर मार्केट में नए अवसरों का निर्माण कर रहा है, बल्कि महत्वपूर्ण चुनौतियां भी उत्पन्न कर रहा है। AI के चलते होने वाले बदलाव के विपरीत प्रभावों को कम करने की जरूरत है।

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  • भारत को अगले 20 साल में तेज ग्रोथ के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश की जरूरत है। पिछले 5 साल में सरकार ने फिजिकल, डिजिटल और सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर पर फोकस किया है। पब्लिक फंडिंग से अकेले ये जरूरतें पूरी नहीं होंगी, इसलिए प्राइवेट भागीदारी बढ़ानी होगी।
  • भारतीय बाज़ारों के सामने सबसे बड़ा जोखिम अमेरिका से जुड़ा है। सर्वे में अमेरिकी बाजार में करेक्शन की हाई पॉसिबिलिटी बताई गई है। इसका भारतीय शेयर बाजार पर असर पड़ सकता है, खासकर रिटेल निवेशकों पर।

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